mahamari patra
माननीय प्रधानमंत्री जी !
सादर प्रणाम
विषय :महामारी से संबंधित अपने अनुसंधान के विषय में मिलने के लिए समय देने हेतु निवेदन !
महोदय,
महामारी का स्वभाव हिंसक एवं उसका वेग बहुत अधिक होता है| उसके शुरू होते ही लोग जब संक्रमित होने एवं मृत्यु को प्राप्त होने लगते हैं |इतने कम समय में महामारी से जनधन की सुरक्षा की जानी संभव नहीं हो पाती है |इससे बचाव के लिए पहले से करके रखी गई मजबूत तैयारियाँ ही काम आ पाती हैं | विशेषज्ञों को बचाव की तैयारियाँ करने में जितना समय लग सकता है| उतने समय में महामारियाँ जनधन का नुक्सान करके चली भी जाती हैं|इसके लिए महामारी के विषय में पहले से सही अनुमान पूर्वानुमान पता होने आवश्यक होते हैं |
महामारी की पहली लहर से लेकर अभी तक संक्रमण बढ़ने या घटने की जितनी भी घटनाएँ घटित हुई हैं | उनके विषय में हमारे द्वारा लगाए गए अनुमान पूर्वानुमान आदि उन तारीखों सहित सही निकलते रहे हैं | मैं उन्हें आगे से आगे पीएमओ की मेल पर भेजता आ रहा हूँ |जो अभी भी सुरक्षित हैं |
ऐसे विषयों पर मैं बीते तीस वर्षों से अनुसंधान करता आ रहा हूँ | उन्हें ही आगे बढ़ाते हुए महामारी को समझने में सुविधा हुई है और सही पूर्वानुमान लगाने में सफल हुआ हूँ |जिस प्रकार से किसी वृक्ष की जड़ें विभिन्न क्षेत्रों में फैली होती हैं | उस वृक्ष की मजबूती समझने के लिए उन सभी जड़ों की परिस्थिति को समझना होता है | उसी प्रकार से महामारी को समझने के लिए उस कालखंड के प्राकृतिक वातावरण को समझते हुए उसमें घटित हुई संपूर्ण प्राकृतिक घटनाओं के विषय में अनुसंधान करना पड़ा है | जिसके परिणाम स्वरूप मेरा यह प्रयत्न सफल रहा है |
श्रीमान जी ! महामारी जैसे इतने भयंकर शत्रु को समझना एवं इसके विषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाना अत्यंत कठिन कार्य था | अपना जीवन लगाकर मैं इसे लक्ष्य तक ले जाने में ईश्वर कृपा से सफल हुआ हूँ ,किंतु मैं चाहता हूँ कि मेरा यह अनुसंधान भविष्य में भी ऐसी महामारियों से सुरक्षा की दृष्टि से काम आता रहे | संसाधनों के अभाव में व्यक्तिगत रूप से मेरे द्वारा ऐसा किया जाना अत्यंत कठिन लगता है | इसलिए ऐसे अनुसंधान कार्य को आगे बढ़ाने के लिए आपसे मदद की अपेक्षा है |
मुझे विश्वास है कि इस अनुसंधान को एवं इससे प्राप्त तथ्यों को यदि ठीक ठीक प्रकार से विश्वमंच पर प्रस्तुत किया जाए तो भारत की इस प्राचीन ज्ञान संपदा से न केवल संपूर्ण विश्व लाभान्वित होगा, प्रत्युत भारत के ज्ञान का गौरव पुनः वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में मदद मिलेगी |यह ऐतिहासिक कार्य आपके द्वारा ही संभव है | इसके लिए यदि संभव हो तो मिलने हेतु समय देने की कृपा करें |
निवेदक
-डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
पीएचडी ( B.H.U.)
संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान
A-7\41 कृष्णानगर -दिल्ली - 51
मोबाईल : 9811226983 महामारी कैसे पैदा हुई !लोग संक्रमित कैसे हुए !चिकित्सा से लाभ क्या हुआ ?
वर्तमान समय में अनुसंधानों की सबसे बड़ी समस्या ये है कि महामारी आकर चली भी गई है किंतु अभी तक यह समझा जाना संभव नहीं हो पाया है कि महामारी पैदा कैसे हुई ? महामारी से लोग रोगी कैसे हुए ? संक्रमित होने वाले लोग स्वस्थ कैसे हुए ?महामारी समाप्त कैसे हुई ? समाप्त हुई या अभी और आएगी ! महामारी का पूर्वानुमान लगाने के लिए भविष्य को कैसे देखा गया ? भविष्य में झाँकने के लिए विज्ञान कहाँ है ?महामारी के बिषाणु पदार्थों या जीवों के अंदर प्रवेश कर सकते है या नहीं ? महामारी के बिषाणु प्राकृतिक वातावरण में मनुष्य शरीरों से पहुँचते हैं या मनुष्य शरीरों से प्राकृतिक वातावरण में ? महामारी से मुक्ति दिलाने में चिकित्सा की कितनी भूमिका रही ? कोविडनियमों के पालन से क्या मदद मिली ?
तापमान बढ़ने घटने का महामारी पर प्रभाव पड़ता है या नहीं ? तापमान घटने बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान लगाना संभव है क्या ?
वायुप्रदूषण बढ़ने से महामारीजनित संक्रमण बढ़ता है क्या ?वायुप्रदूषण बढ़ने का कारण क्या है?वायुप्रदूषण बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है क्या ?
महामारी
संबंधी संक्रमण बढ़ने घटने में मौसम की भूमिका होती है या नहीं? मौसम
संबंधी परिवर्तनों का कारण क्या होता है ?मौसम के विषय में पूर्वानुमान
लगाया जाना संभव है क्या ?
भूकंपों का भी महामारी पर प्रभाव पड़ता है क्या ? महामारी के समय इतने अधिक भूकंप आने का कारण क्या था ?
महामारी
के समय कुछ वृक्षों में उनकी ऋतुओं के बिना भी फूल फल लगते देखे जा रहे थे
| उनके आकार स्वाद आदि में भी कुछ बदलाव होते सुने गए थे |इसका कारण
महामारी ही थी या कुछ और ! ऐसे परिवर्तन कृषि संबंधी उत्पादों में भी होते
देखे जा रहे थे | ऐसा होने का कारण महामारी थी या कुछ और !
महामारी के समय पशुओं पक्षियों में इतनी अधिक बेचैनी क्यों थी ? पशुओं पक्षियों चूहों टिड्डियों आदि के उन्माद का कारण महामारी थी या कुछ और ?
महामारी के समय कुछ देशों में तनाव आतंकी घटनाएँ हिंसक आंदोलन एवं युद्ध जैसी हिंसक घटनाएँ घटित हो रही थीं !ऐसी घटनाओं के घटित होने का कारण महामारी थी या कुछ और !
महामारी काल से अभी तक उठते बैठते हँसते खेलते नाचते कूदते कुछ लोगों की
मृत्यु होते देखी जा रही है | इसका कारण कोरोना महामारी है या कुछ और !
विशेष बात यह है कि महामारीजनित संक्रमण बढ़ने में भूकंप,वर्षा,तापमान,वायुप्रदूषण आदि जिस किसी भी घटना की भूमिका होगी ! उस घटना के घटित होने का कारण तथा पूर्वानुमान खोजकर ही उसके आधार पर महामारी के विषय में कोई सटीक अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाया जा सकता है |
ऐसा बिचार करके मैंने ऐसे सभी विषयों में आवश्यक जानकारियाँ जुटाकर उनके आधार पर महामारी को समझने के लिए प्रयत्न किया है | इनके एवं प्राचीन गणितविज्ञान आधार पर महामारी के विषय में मैं जो अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाता रहा हूँ | वे सही निकलते रहे हैं | प्रत्येक लहर के विषय में मैंने अभी तक जो जो पूर्वानुमान लगाए हैं वे सही निकलते रहे हैं |वे तारीखों के साथ वे तारीखों के साथ आगे से आगे पीएमओ की मेल पर भेजता रहा हूँ |
आदरणीय आपको
सादर प्रणाम
विषय :समय विज्ञान के अनुसार वायु प्रदूषण बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान संबंधी अनुसंधानों में सहयोग हेतु विनम्र निवेदन !
महोदय,
निवेदन ये है कि मैं वैदिकविज्ञान के आधार पर पर्यावरण के विषय में विगत 35 वर्षों से अनुसंधान करता आ रहा हूँ |इसमें अभी तक जो अनुभव हुए हैं उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि वायु प्रदूषण बढ़ने के तीन प्रमुख कारण होते हैं !1. भौगोलिक कारण,2. मनुष्यकृत कारण,3. समयकृत कारण
1. वायु प्रदूषण बढ़ने के कुछ भौगोलिक कारण होते हैं|इसके अनुसार भौगोलिक परिस्थिति के कारण वायु प्रदूषण बढ़ता है | इसीलिए कुछ स्थानों पर वायुप्रदूषण बहुत अधिक बढ़ता है,कुछ स्थानों पर मध्यम रहता है,जबकि कुछ स्थानों पर बहुत अधिक बढ़ जाता है |
2. ऐसे ही वायु प्रदूषण बढ़ने के कुछ मनुष्यकृत कारण होते हैं जिनमें वायु प्रदूषण धुआँ धूल उड़ाने वाले कार्यों से बढ़ता है |
3. इसीप्रकार समयकृत कारणों से भी वायुप्रदूषण बढ़ता है | इसीलिए कुछ दिनों तक वायुप्रदूषण अधिक रहता है कुछ दिन मध्यम जबकि कुछ दिन बहुत कम रहता है !
विशेष बात यह है कि समयकृत कारणों से बढ़ने वाले वायुप्रदूषण के स्तर के विषय में हम अनुसंधान पूर्वक पूर्वानुमान लगाते हैं |
नवंबर 2024 के विषय में वायुप्रदूषणबढ़ने के विषय में पूर्वानुमान
इस वर्ष 16 नवंबर से वायु प्रदूषण विशेष रूप से बढ़ना शुरू हो जाएगा | 17,18,19 नवंबर तक वायु प्रदूषण क्रमशः बढ़ता चला जाएगा | 20 नवंबर को वायु प्रदूषण का स्तर काफी अधिक बढ़ जाएगा | उसके बाद वायु प्रदूषण कम होना शुरू हो जाएगा |
दिसंबर 2024 के वायुप्रदूषण बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान
11 दिसंबर से वायुप्रदूषण बढ़ना प्रारंभ हो जाएगा | 13,14 तक क्रमशः बढ़ता जाएगा !15 और 16 दिसंबर को वायुप्रदूषणका स्तर सबसे अधिक बढ़ा रहेगा | उसके बाद कम होना शुरू हो जाएगा |
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारे अनुसंधान कार्य में मदद करने की कृपा करें |
निवेदक
-डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
पीएचडी ( B.H.U.)
संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान
A-7\41 शनिबाजार, लालक्वार्टर कृष्णानगर -दिल्ली - 51
मोबाईल : 9811226983
आदरणीय आपको
सादर प्रणाम
विषय :समयविज्ञान के अनुसार चक्रवातों के निर्मित होने के विषय में पूर्वानुमान संबंधी अनुसंधानों में सहयोग हेतु विनम्र निवेदन !
महोदय,
निवेदन ये है कि प्राकृतिक घटनाओं का जन्म पूर्व निर्द्धारित समय पर ही होता है और वे घटित भी अपने समय पर ही होती हैं | इसलिए उनके विषय में पूर्वानुमान भी समयविज्ञान के आधार पर ही लगाया जा सकता है | मैं इसी विषय में पिछले कुछ दशकों से अनुसंधान करता आ रहा हूँ|इसके आधार पर चक्रवातों के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान प्रायः सही निकलते देखे जाते हैं |
चक्रवातों के निर्मित होते समय समुद्री तापमान कुछ बढ़ जाता है !उसी समय से चक्रवातों का निर्माण होना प्रारंभ हो जाता है | कुछ चक्रवात समुद्री क्षेत्र में पैदा होकर समुद्री क्षेत्र में ही चक्कर लगाकर समाप्त हो जाते हैं | कुछ चक्रवात समुद्री क्षेत्रों से निकलकर कुछ देशों प्रदेशों की ओर बढ़ जाते हैं जिससे तेज हवाओं के साथ अधिक वर्षा होते देखी जाती है | कभी कभी तो ऐसे एक ही समय में एक से अधिक चक्रवातों को निर्मित होते देखा जाता है |
चक्रवातों के विषय में पूर्वानुमान :
चक्रवात नंबर 1
नवंबर 27 और 28 को दक्षिण प्रशांतसागरीय वातावरण में तापमान अन्य समय की अपेक्षा कुछ बढ़ जाएगा | जिससे न केवल समुद्री जल आंदोलित होंगे | प्रत्युत इसी समय से हवाओं का वेग बढ़ना प्रारंभ हो जाएगा | वैश्विक दृष्टि से देखा जाए तो 29 और 30 नवंबर में एक या एक से अधिक चक्रवातों के पैदा होने की शुरुआत हो सकती है | जो 2 से 7 दिसंबर के बीच समुद्री क्षेत्र से निकलकर किसी देश प्रदेश की ओर बढ़ सकते हैं | इसी समय में कोई चक्रवात भारतीय सीमा की ओर भी बढ़ सकता है | जिससे केरल कर्नाटक महाराष्ट्र गुजरात आदि में तेज हवाओं के साथ अधिक वर्षा होने की संभावना है |
चक्रवात नंबर 2
10 दिसंबर 2024 से मध्य प्रशांत महासागर के आकाशीय क्षेत्र में प्राकृतिक वातावरण आंदोलित होगा | इस समय समुद्री सतह के तापमान में वृद्धि होगी | जिसके संपर्क से वायु और जल उत्तेजित होंगे | इन तीनों के संयोग से तीन दिनों में किसी चक्रवात का निर्माण हो सकता है | कुछ अन्य देशों के साथ साथ 14 से 18 दिसंबर के बीच यह चक्रवात बंगाल की खाड़ी से भारत में प्रवेश कर सकता है | जिसके प्रभाव से आंध्रप्रदेश तेलंगाना उड़ीसा झारखंड पश्चिम बंगाल त्रिपुरा आदि में तेज हवाओं के साथ अधिक बारिश हो सकती है |
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि यदि ये पूर्वानुमान सच लगते हैं तो हमारे अनुसंधान कार्य में मदद करने की कृपा करें |
निवेदक
-डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
पीएचडी ( B.H.U.)
संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान
A-7\41 शनिबाजार, लालक्वार्टर कृष्णानगर -दिल्ली - 51
मोबाईल : 9811226983
आदरणीय आपको
सादर प्रणाम
विषय :समयविज्ञान के अनुसार भूकंप संबंधी अनुसंधानों में सहयोग हेतु विनम्र निवेदन !
महोदय,
निवेदन है कि भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाओं के विषय में बहुत अनुसंधान हुए हैं | जिनके आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुँचा जा सका है कि भूकंपों के आने के लिए दो प्रमुख कारण जिम्मेदार हैं |
1 . पृथ्वी के अंदर मौजूद ऊर्जा के अचानक निकलने से भूकंप आता है| यदि इसे ही सच मान लिया जाए तो वह ऊर्जा अचानक क्यों और कब निकलती है | इसके विषय में पूर्वानुमान लगाना होगा | ऐसा किए बिना भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है |
28 नवंबर से 3 दिसंबर के बीच पृथ्वी के अंदर मौजूद ऊर्जा के अचानक निकलने से भूकंप आ सकता है |
2 . पृथ्वी के अंदर मौजूद टेक्टोनिक प्लेटें धीरे-धीरे घूमती रहती हैं. इन प्लेटों के आपस में टकराने या किसी प्लेट के किसी दूसरी प्लेट के नीचे से खिसकने से भूकंप आता है |
विशेष बात यह है कि टेक्टोनिक प्लेटों के आपस में टकराने भूकंप आता है |यदि ये सच हो भी तो ये कब और क्यों टकराती हैं | इसे खोजे बिना इसके आधार पर भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान लगाया जाना संभव नहीं है |
10 से 15 दिसंबर तक टैक्टॉनिक प्लेटों के आपस मेंटकराने की संभावना है
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि यदि ये पूर्वानुमान सच लगते हैं तो हमारे अनुसंधान कार्य में मदद करने की कृपा करें |
निवेदक
-डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
पीएचडी ( B.H.U.)
संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान
A-7\41 शनिबाजार, लालक्वार्टर कृष्णानगर -दिल्ली - 51
मोबाईल : 9811226983
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