suktiyaan

 

 

 

 

             जिंदगी में कितने भी बड़े बन जाओ लेकिन उससे बड़े कभी मत बनने लगना जिसने तुमको बड़ा बनाया हो !

परिश्रमी लोगों को सुबह जागने के लिए अलार्म नहीं लगाना पड़ता ! उन्हें उनकी जिम्मेदारियाँ जगाती हैं
ग अपने सपनों को साकार करने के लिए सोते ही ही नहीं हैं !उन्हें   चूहों की दौड़ में जीत भी जाएँ तो भी चूहे ही रहना है !
 मेहनती इंसान को अलार्म नहीं, जिम्मेदारियां जगाती है!सफलता के लिए संघर्ष करो किंतु इतना याद रखो कि जो पाना चाहते हो वो पाकर क्या प्रसन्न रह पाओगे ! क्या अपने लिए
 ख़ुशी ही न मिली तो ऐसी सफलता किस काम की ! जो गरीबों से भी नीचे गिरा दे !प्रसन्न तो वे भी रह लेते हैं !
स्वजनों को गले लगा पाओगे समाजके लिए कुछ अच्छा कर पाओगे !
नहीं मिलती नहीं जो आप सोचते हैं सफलता जिसमें आप प्रसन्न रह सकते हैं | 

 सबको खुश रखने के सपने ही क्यों देखना,अपनों में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें तुम खुश रखना चाहोगे!वे तुम्हें परेशान देखना चाहते होंगे ! 

किसी को शूली पर लटकाकर तुम खुश नहीं रह सकते


कुछ अपने ही हमें दुखी देखकर खुश होना चाहते हैं !वे भी तुम्हारे अपने ही हैं !

उनके लिए शूली पर लटक जाना !



 अपनों में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें सबकुछ देकर भी प्रसन्न नहीं रख सकते !

हो फिर किसी को प्रसन्न करने का प्रयत्न ही क्यों करना !

 जब लोग तुमसे रूठने लगें तो उन्हें मनाने में समय मत बर्बाद करो! ऐसे समय अपना पवित्र कर्तव्य चुनो,जो भविष्य में तुम्हें दोषी न सिद्ध होने दे !

तुमने जिसका भला किया है उसे याद मत दिलाओ !वो खुद एक दिन तुम्हें खोजेगा !तुम्हारा परिश्रम तुम्हारी सहमति के बिना कोई कैसे पचा लेगा

   तुम यदि भला करना चाहते हो तो कुछ लोगों को चुन लो !वे भी एक दिन तुम्हें बुरा ही कहेंगे !इसलिए किसी का भला करके उसे याद दिलाना ही क्यों ?

     तुमने जिसे जो कुछ दिया है वो तुम्हें कहीं से मिला था वो सकता है तुम्हारे परिश्रम के बदले मिला हो !किंतु परिश्रम भी तो तभी कर पाए जब ईश्वर ने तुम्हें उस लायक बनाया है | वो माँगने ही इसीलिए आया कि ईश्वर ने उसे तुम्हारे पास भेजा है | 

  पत्नी को प्रसन्न क्यों करना वो अपना जीवन जी रही है तुम अपना जीवन जीते जाओ !जब जिसकी यात्रा पूरी होगी तब वो छोड़कर चला जाएगा !



मुर्गे सबसे ज्यादा काटे जाते हैं !
     क्यों ?मुर्गों का सबसे बड़ा दोष यही है कि वे दूसरों को जगाने का काम करते हैं | दूसरों को जगाने वालों का यही हाल होता है | हर व्यक्ति अपने अपने समय से जागता है | इसलिए किसी को जगाने में अपना समय बर्बाद न करके पहले  स्वयं जागो और अपने विषय में सोचो !अपने को बदलो| अपनी परिस्थितियों को बदलो !परिस्थितियाँ तब बदलेंगी जब समय कब बदलेगा !आपका समय कब बदलेगा और कब आएगा अच्छा समय ? यह जानने के लिए करें हमारे यहां संपर्क !
 
 नदियों का जल मीठा और समुद्र का जल खारा क्यों होता है ?
   नादियाँ अपना जल बाँटती रहती हैं,बाँटने वाले लोगों को ही समाज पसंद करता है| इसीलिए नदियों का जल सभी को मीठा लगता है |समुद्र अपना जल किसी को बाँटता नहीं हैं, वह स्वयं में  संग्रह करता है |इसलिए उसका जल खारी लगता है | इसीप्रकार से आप भी जब तक बाँटते रहोगे तभी तक सबके प्रिय रह पाओगे !जिस दिन आप अपने विषय में भी सोचने लगोगे उस दिन आपसे सभी दूर होते जाएँगे !यहाँ तक कि आपसे आपके अपने भी पीछा छोड़ा लेंगे | दूसरों को बांटना तभी संभव है जब आपके पास हो | आपके पास होना तभी संभव है जब आपके भाग्य में हो आपके भाग्य में कौन सुख कितना है | यह जानने के लिए करें हमारे यहाँ संपर्क !

 

 

 

 

 

 

आदरणीय आपको

                सादर प्रणाम

 विषय :समयविज्ञान के अनुसार वर्षा संबंधी पूर्वानुमान लगाने के लिए अनुसंधानों में सहयोग हेतु विनम्र निवेदन !

       महोदय,

      उपग्रहों रडारों के माध्यम  से वर्षा के विषय में जो पूर्वानुमान लगाए जाते हैं !उसमें सब कुछ प्रत्यक्ष होता है !उपग्रहों रडारों से बादलों को दूर से ही देख लिया जाता है कि किस दिशा में कितनी गति से जा रहे हैं उसी के अनुसार ये अंदाजा लगा लिया जाता है कि ये कब कहाँ पहुँच सकते हैं | हवाएँ यदि उसी दिशा में उसी गति से चलती  रहीं तब तो वो अंदाजा सही निकल जाता है | यदि इसमें बदलाव हुआ तो अंदाजा गलत निकल जाता है | 

    दूसरी बात उपग्रहों रडारों की मदद से जितनी दूर तक के बादल देखे जा सकते हैं ,बस उतने के विषय में ही अंदाजा लगाया जा सकता है | इसीलिए वर्षा संबंधी पूर्वानुमान बार बार बदलने पड़ते हैं | तीन दिन वर्षा होने की भविष्यवाणी के तीन दिन बीतने के बाद फिर 48 घंटे या 72 और वर्षा होते रहने की भविष्यवाणी करनी पड़ती है | बादलों की श्रंखला जब तक दिखाई पड़ती रहती है तब तक भविष्यवाणियाँ बदलते रहनी पड़ती हैं |

     ऐसी स्थिति में आवश्यकता किसी ऐसे विज्ञान के खोजे जाने की है |जिसके द्वारा विशुद्ध वैज्ञानिक रूप से तब पूर्वानुमान लगा लिया जाए जब उपग्रहों रडारों की मदद से भी बादल दूर दूर तक दिखाई ही न पड़ रहे हों| ऐसा तभी संभव है जब समय और गणितविज्ञान के आधार पर अनुसंधान किया जाए !

          समय और गणितविज्ञान के आधार पर पूर्वानुमान !

       17 नवंबर 2024  से 32 दिन बाद तक अर्थात 19 दिसंबर तक पूर्वोत्तर एवं मध्य भारत में वर्षा की संभावना बहुत कम है | इसी बीच कुछ समुद्र तटीय प्रदेशों में  2 से 5 दिसंबर के बीच वर्षा हो सकती है |

   इसके अतिरिक्त 17,18,19,20,21,22 तथा 29,30,31 जनवरी को भारत के अधिकाँश प्रदेशों में  वर्षा होने की संभावना है !इस समय विश्व के अनेकों देशों में वर्षा होने के दृश्य दिखाई पड़ सकते हैं |

 

                                                      निवेदक

                                    -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 

                                            पीएचडी ( B.H.U.) 

                              संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान

                        A-7\41 शनिबाजार, लालक्वार्टर कृष्णानगर -दिल्ली - 51

                                       मोबाईल :   9811226983



 

 

       माननीय प्रधानमंत्री जी !

                                               सादर प्रणाम

     विषय :महामारी से संबंधित अपने अनुसंधान के विषय में मिलने के लिए समय देने हेतु निवेदन !

      महोदय,

     महामारी का स्वभाव हिंसक एवं उसका वेग बहुत अधिक होता है| उसके शुरू होते ही लोग जब संक्रमित होने एवं मृत्यु को प्राप्त होने लगते हैं |इतने कम समय में महामारी से जनधन की सुरक्षा की जानी संभव नहीं हो पाती है |इससे बचाव के लिए पहले से करके रखी गई मजबूत तैयारियाँ ही काम आ पाती हैं | विशेषज्ञों को बचाव की तैयारियाँ करने में जितना समय लग सकता है| उतने समय में महामारियाँ जनधन का नुक्सान करके चली भी जाती हैं|इसके लिए महामारी के विषय में पहले से सही अनुमान पूर्वानुमान पता होने आवश्यक होते हैं | 

     महामारी की पहली लहर से लेकर अभी तक संक्रमण बढ़ने या घटने की जितनी भी घटनाएँ घटित हुई हैं | उनके विषय में हमारे द्वारा लगाए गए अनुमान पूर्वानुमान आदि उन तारीखों सहित सही निकलते रहे हैं | मैं उन्हें आगे से आगे पीएमओ की मेल पर भेजता आ रहा हूँ |जो अभी भी सुरक्षित हैं |

    ऐसे विषयों पर मैं बीते तीस वर्षों से अनुसंधान करता आ रहा हूँ | उन्हें ही आगे बढ़ाते हुए महामारी को समझने में सुविधा हुई है और सही पूर्वानुमान लगाने में सफल हुआ हूँ |जिस प्रकार से किसी वृक्ष की जड़ें विभिन्न क्षेत्रों में फैली होती हैं | उस वृक्ष की मजबूती समझने के लिए उन सभी जड़ों की परिस्थिति को समझना होता है | उसी प्रकार से महामारी को समझने के लिए उस कालखंड के प्राकृतिक वातावरण को समझते हुए उसमें घटित हुई संपूर्ण प्राकृतिक घटनाओं के विषय में अनुसंधान करना पड़ा है | जिसके परिणाम स्वरूप मेरा यह प्रयत्न सफल रहा है |

      श्रीमान जी ! महामारी जैसे इतने भयंकर शत्रु को समझना एवं इसके विषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाना अत्यंत कठिन कार्य था | अपना जीवन लगाकर मैं इसे लक्ष्य तक ले जाने में ईश्वर कृपा से सफल हुआ हूँ ,किंतु मैं चाहता हूँ कि मेरा यह अनुसंधान भविष्य में भी ऐसी महामारियों से सुरक्षा की दृष्टि से काम आता रहे | संसाधनों के अभाव में व्यक्तिगत रूप से मेरे द्वारा ऐसा किया जाना अत्यंत कठिन लगता है | इसलिए ऐसे अनुसंधान कार्य को आगे बढ़ाने के लिए आपसे मदद की अपेक्षा है |

   मुझे विश्वास है कि इस अनुसंधान को एवं इससे प्राप्त तथ्यों को  यदि ठीक ठीक प्रकार से विश्वमंच पर प्रस्तुत किया जाए तो भारत की इस प्राचीन ज्ञान संपदा से न केवल संपूर्ण विश्व लाभान्वित होगा, प्रत्युत भारत के ज्ञान का गौरव पुनः वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में मदद मिलेगी |यह ऐतिहासिक कार्य आपके द्वारा ही संभव है | इसके लिए यदि संभव हो तो मिलने हेतु समय देने की  कृपा करें | 

                                                   निवेदक

                                    -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 

                                            पीएचडी ( B.H.U.) 

                                    संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान

                                 A-7\41  कृष्णानगर -दिल्ली - 51 

                                  मोबाईल :   9811226983

                        महामारी कैसे पैदा हुई !लोग संक्रमित कैसे हुए !चिकित्सा से लाभ क्या हुआ ?  

      वर्तमान समय में अनुसंधानों की सबसे बड़ी समस्या ये है कि महामारी आकर चली भी गई है किंतु अभी तक यह समझा जाना संभव नहीं हो पाया है कि महामारी पैदा कैसे हुई ? महामारी से लोग रोगी कैसे हुए ? संक्रमित होने वाले लोग स्वस्थ कैसे हुए ?महामारी समाप्त कैसे हुई ? समाप्त हुई या अभी और आएगी ! महामारी का पूर्वानुमान लगाने के लिए भविष्य को कैसे देखा गया ? भविष्य में  झाँकने के लिए विज्ञान कहाँ है ?महामारी के बिषाणु पदार्थों या जीवों के अंदर प्रवेश कर सकते है या नहीं ? महामारी के बिषाणु प्राकृतिक वातावरण में मनुष्य शरीरों से पहुँचते हैं या मनुष्य शरीरों से प्राकृतिक वातावरण में ? महामारी से मुक्ति दिलाने में चिकित्सा की कितनी भूमिका रही ? कोविडनियमों के पालन से क्या मदद मिली ? 

  तापमान बढ़ने घटने का महामारी पर  प्रभाव पड़ता है या नहीं ? तापमान घटने बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान लगाना संभव है क्या ?

 वायुप्रदूषण बढ़ने से महामारीजनित संक्रमण बढ़ता है क्या ?वायुप्रदूषण बढ़ने का कारण क्या है?वायुप्रदूषण बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है क्या ?

 महामारी संबंधी संक्रमण बढ़ने घटने में मौसम की भूमिका होती है या नहीं? मौसम संबंधी परिवर्तनों का कारण क्या होता है ?मौसम के विषय में पूर्वानुमान लगाया जाना संभव है क्या ?    

भूकंपों का भी महामारी पर प्रभाव पड़ता है क्या ? महामारी के समय इतने अधिक भूकंप आने का कारण क्या था ?

महामारी के समय कुछ वृक्षों में उनकी ऋतुओं के बिना भी फूल फल लगते देखे जा रहे थे | उनके आकार स्वाद आदि में भी कुछ बदलाव होते सुने गए थे |इसका कारण महामारी ही थी या कुछ और ! ऐसे परिवर्तन कृषि संबंधी उत्पादों में भी होते देखे जा रहे थे | ऐसा होने का कारण महामारी थी या कुछ और !

  महामारी के समय पशुओं पक्षियों में इतनी अधिक बेचैनी क्यों थी ? पशुओं पक्षियों चूहों टिड्डियों आदि के उन्माद का  कारण महामारी थी या कुछ और ?

    महामारी के समय कुछ देशों में  तनाव आतंकी घटनाएँ हिंसक आंदोलन एवं युद्ध जैसी हिंसक घटनाएँ घटित हो रही थीं !ऐसी घटनाओं के घटित होने का कारण महामारी थी या कुछ और !

    महामारी काल से अभी तक उठते बैठते हँसते खेलते नाचते कूदते कुछ लोगों की मृत्यु होते देखी जा रही है | इसका कारण कोरोना महामारी है या कुछ और !

   विशेष बात यह है कि महामारीजनित संक्रमण बढ़ने में भूकंप,वर्षा,तापमान,वायुप्रदूषण आदि जिस किसी भी घटना की भूमिका होगी ! उस घटना के घटित होने का कारण तथा पूर्वानुमान खोजकर ही उसके आधार पर महामारी के विषय में कोई सटीक अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाया जा सकता है |

      ऐसा बिचार करके मैंने ऐसे सभी विषयों में आवश्यक जानकारियाँ जुटाकर उनके आधार पर महामारी को समझने के लिए प्रयत्न किया है | इनके एवं प्राचीन गणितविज्ञान आधार पर महामारी के विषय में मैं जो अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाता रहा हूँ | वे सही निकलते रहे हैं | प्रत्येक लहर के विषय में मैंने अभी तक जो जो पूर्वानुमान लगाए हैं वे सही निकलते रहे हैं |वे तारीखों के साथ वे तारीखों के साथ आगे से आगे पीएमओ की मेल पर भेजता रहा हूँ |  

 

आदरणीय आपको

                सादर प्रणाम

     विषय :समय विज्ञान के अनुसार वायु प्रदूषण बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान संबंधी अनुसंधानों में सहयोग हेतु विनम्र निवेदन !

       

महोदय,

    निवेदन ये है कि मैं  वैदिकविज्ञान के आधार पर पर्यावरण के विषय में विगत 35 वर्षों से अनुसंधान करता आ रहा हूँ |इसमें अभी तक जो अनुभव हुए हैं उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि वायु प्रदूषण बढ़ने के तीन प्रमुख कारण होते हैं !1. भौगोलिक कारण,2. मनुष्यकृत कारण,3. समयकृत कारण  

1.  वायु प्रदूषण बढ़ने के कुछ भौगोलिक कारण होते हैं|इसके अनुसार भौगोलिक परिस्थिति के कारण  वायु प्रदूषण बढ़ता है | इसीलिए कुछ स्थानों पर वायुप्रदूषण बहुत अधिक बढ़ता है,कुछ स्थानों पर मध्यम रहता है,जबकि कुछ स्थानों पर बहुत अधिक बढ़ जाता है | 

2.  ऐसे ही वायु प्रदूषण बढ़ने के कुछ मनुष्यकृत कारण होते हैं जिनमें वायु प्रदूषण धुआँ धूल  उड़ाने वाले कार्यों से बढ़ता है |

3. इसीप्रकार समयकृत कारणों से भी वायुप्रदूषण बढ़ता है | इसीलिए कुछ दिनों तक वायुप्रदूषण अधिक रहता है कुछ दिन मध्यम  जबकि कुछ दिन बहुत कम रहता है !

    विशेष बात यह है कि समयकृत कारणों से बढ़ने वाले वायुप्रदूषण के स्तर के विषय में हम अनुसंधान पूर्वक पूर्वानुमान लगाते हैं | 

                                नवंबर 2024 के विषय में वायुप्रदूषणबढ़ने के विषय में पूर्वानुमान

    इस वर्ष 16  नवंबर से वायु प्रदूषण विशेष रूप से बढ़ना शुरू हो जाएगा | 17,18,19 नवंबर तक वायु प्रदूषण क्रमशः बढ़ता चला जाएगा | 20 नवंबर को वायु प्रदूषण का स्तर  काफी अधिक बढ़ जाएगा | उसके बाद वायु प्रदूषण कम होना शुरू हो जाएगा |  

      दिसंबर 2024 के वायुप्रदूषण बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान

      11 दिसंबर से वायुप्रदूषण बढ़ना प्रारंभ हो जाएगा | 13,14 तक क्रमशः बढ़ता जाएगा !15 और 16 दिसंबर को वायुप्रदूषणका स्तर सबसे अधिक बढ़ा रहेगा | उसके बाद कम होना शुरू हो जाएगा | 

     अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारे अनुसंधान  कार्य में मदद करने की कृपा करें |

                                                   निवेदक

                                    -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 

                                            पीएचडी ( B.H.U.) 

                              संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान

                        A-7\41 शनिबाजार, लालक्वार्टर कृष्णानगर -दिल्ली - 51

                                       मोबाईल :   9811226983

 

 

आदरणीय आपको

                सादर प्रणाम

     विषय :समयविज्ञान के अनुसार चक्रवातों के निर्मित होने के विषय में पूर्वानुमान संबंधी अनुसंधानों में सहयोग हेतु विनम्र निवेदन !

       महोदय,

    निवेदन ये है कि प्राकृतिक घटनाओं का जन्म पूर्व निर्द्धारित समय पर ही होता है और वे घटित भी अपने समय पर ही होती हैं | इसलिए उनके विषय में पूर्वानुमान भी समयविज्ञान के आधार पर ही लगाया जा सकता है | मैं इसी विषय में पिछले कुछ दशकों से अनुसंधान करता आ रहा हूँ|इसके आधार पर चक्रवातों के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान प्रायः सही निकलते देखे जाते हैं | 

     चक्रवातों के निर्मित होते समय समुद्री तापमान कुछ बढ़ जाता है !उसी समय से चक्रवातों का निर्माण होना प्रारंभ हो जाता है | कुछ चक्रवात समुद्री क्षेत्र में पैदा होकर समुद्री क्षेत्र में ही चक्कर लगाकर समाप्त हो जाते हैं | कुछ चक्रवात समुद्री क्षेत्रों से निकलकर कुछ देशों प्रदेशों की ओर बढ़ जाते हैं जिससे तेज हवाओं के साथ अधिक वर्षा होते देखी जाती है | कभी कभी तो ऐसे एक ही समय में एक से अधिक चक्रवातों को निर्मित होते देखा जाता है |

     चक्रवातों के विषय में पूर्वानुमान : 

  चक्रवात नंबर 1 

  नवंबर  27 और 28 को दक्षिण प्रशांतसागरीय  वातावरण में तापमान अन्य समय की अपेक्षा कुछ बढ़ जाएगा | जिससे न केवल समुद्री जल आंदोलित होंगे | प्रत्युत इसी समय से हवाओं का वेग बढ़ना प्रारंभ हो जाएगा | वैश्विक दृष्टि से देखा जाए तो 29 और 30 नवंबर में  एक या एक से अधिक चक्रवातों के पैदा होने की शुरुआत हो सकती है |  जो 2 से 7 दिसंबर के बीच समुद्री क्षेत्र से निकलकर किसी देश प्रदेश की ओर बढ़ सकते हैं | इसी समय में कोई चक्रवात भारतीय सीमा की ओर भी बढ़ सकता है | जिससे  केरल कर्नाटक महाराष्ट्र गुजरात आदि में तेज हवाओं के साथ अधिक वर्षा होने की संभावना है |

  चक्रवात नंबर 2 

       10 दिसंबर 2024 से मध्य प्रशांत महासागर के आकाशीय  क्षेत्र में प्राकृतिक वातावरण आंदोलित होगा | इस समय समुद्री सतह के तापमान में वृद्धि होगी | जिसके संपर्क से वायु और जल उत्तेजित होंगे | इन तीनों के संयोग से तीन दिनों में किसी चक्रवात का निर्माण हो सकता है | कुछ  अन्य देशों के साथ साथ 14 से 18 दिसंबर के बीच यह चक्रवात बंगाल की खाड़ी से भारत में प्रवेश कर सकता है | जिसके प्रभाव से आंध्रप्रदेश तेलंगाना उड़ीसा झारखंड पश्चिम बंगाल त्रिपुरा आदि में तेज हवाओं के साथ अधिक बारिश हो सकती है |

     अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि यदि ये पूर्वानुमान सच लगते हैं तो हमारे अनुसंधान  कार्य में मदद करने की कृपा करें |

                                                   निवेदक

                                    -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 

                                            पीएचडी ( B.H.U.) 

                              संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान

                        A-7\41 शनिबाजार, लालक्वार्टर कृष्णानगर -दिल्ली - 51

                                       मोबाईल :   9811226983



 

आदरणीय आपको

                सादर प्रणाम

     विषय :समयविज्ञान के अनुसार भूकंप संबंधी अनुसंधानों में सहयोग हेतु विनम्र निवेदन !

       महोदय,

    निवेदन है कि भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाओं के विषय में बहुत अनुसंधान हुए हैं | जिनके आधार पर इस निष्कर्ष पर तो पहुँचा जा सका है कि भूकंपों के आने के लिए दो प्रमुख कारण जिम्मेदार हैं | एक तो लावा पर तैरती भूगर्भगत प्लेटों  के आपस में टकराने से तो दूसरे पृथ्वी के अंदर मौजूद ऊर्जा के अचानक निकलने से भूकंप आ सकता है |  ये अनुमान सही है या नहीं ये तो तभी पता लगेगा जब इसके आधार पर भूकंपों के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान सही निकलें !यदि इसे सही मान भी लिया जाए तो अनुसंधान पूर्वक उन प्राकृतिक परिस्थितियों को खोजा  जाना आवश्यक है कि जिनसे यह पता लगाया जाना आवश्यक है कि टेक्टोनिक प्लेटेंआपस में टकराती कब हैं और पृथ्वी के अंदर मौजूद ऊर्जा अचानक निकलती कब है | समय विज्ञान के आधार पर मैंने न केवल ऐसे प्रश्नों के उत्तर खोजने का प्रयत्न किया है,प्रत्युत  भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान लगाने का भी प्रयत्न किया है |

पहला समय

    पृथ्वी के अंदर संचित ऊर्जा का दबाव मध्य नवंबर से ही बढ़ने लगेगा | यह दबाव 28 नवंबर से 3 दिसंबर  के बीच अत्यंत बढ़ जाने के कारण इसके पृथ्वी से अचानक बाहर निकलने की संभावना है | यद्यपि इसके बाहर निकलने के कई मार्ग हो सकते हैं | जिससे एक से अधिक स्थानों पर भूकंप आ सकते हैं | इतना निश्चित है कि ये भूकंप 28 नवंबर से 3 दिसंबर 2024 के बीच ही या तो एक ही स्थान पर बार बार आएँगे या एक से अधिक स्थानों पर एक एक बार आएँगे |

    दूसरा समय 

  दिसंबर के प्रथम सप्ताह से ही भूगर्भ का तापमान बढ़ना शुरू होगा | जिसके प्रभाव से इसी 10 से 15  दिसंबर के बीच टैक्टॉनिक प्लेटों के आपस में टकराने की संभावना है | जिससे एक से अधिक स्थानों पर भूकंप जैसी घटनाएँ घटित होने कोई संभावना है |

       अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि यदि ये पूर्वानुमान सच लगते हैं तो हमारे समयविज्ञान संबंधी अनुसंधान  कार्य में मदद करने की कृपा करें |

                                                   निवेदक

                                    -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 

                                            पीएचडी ( B.H.U.) 

                              संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान

                        A-7\41 शनिबाजार, लालक्वार्टर कृष्णानगर -दिल्ली - 51

                                       मोबाईल :   9811226983




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