वैज्ञानिक होने के नाते आपसे अपेक्षाएँ हैं !
वर्तमान समय में विज्ञान उन्नति के शिखर पर है | वैश्विक स्तर पर बड़े बड़े वैज्ञानिकों के समूह ऐसी समस्याओं को समझने एवं उनका समाधान निकालने में लगे हुए हैं किंतु यह दुर्भाग्य ही है कि समाधान निकालना तो दूर उनके द्वारा ऐसी घटनाओं को समझना भी संभव नहीं हो पाया है| ऐसी घटनाओं के विषय में उनके द्वारा जो समझा गया उसके आधार पर जो अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाए गए वे सही नहीं निकले | इससे समाज में ये संदेश गया कि ऐसे अनुमानों पूर्वानुमानों को लगाने के लिए जो आधार चुने गए थे | वे सही नहीं थे | उनके द्वारा ऐसी घटनाओं को समझने के लिए जहाँ तक वैज्ञानिकपहुँच बनाई जा सकी | उसे गणित विज्ञान की कसौटी पर कैसा जाए तो वास्तविकता उनकी पहुँच के विपरीत दिशा में उनसे बहुत दूर खड़ी थी |
उस सच्चाई को खोजने का एक मात्र उपाय यही था कि अनुसंधानों के द्वारा
जितनी भी जानकारी मिली थी उसके आधार पर महामारी के विषय में अनुमान
पूर्वानुमान लगाए जाते यदि वे सही निकलते तब तो महामारी संक्रमण से मुक्ति
दिलाने या बचाव के लिए औषधि टीके आदि उसी जानकारी के आधार पर बना लिए जाते
!महामारी के विषय में अपनी जानकारी का परीक्षण किए बिना ही उसके आधार पर न
तो औषधि बनाई जा सकती थी और न ही टीके ! किसी भी रोगी की चिकित्सा करने या औषधि निर्माण करने से पहले उस रोग को पहचानना बहुत आवश्यक होता है |
विशेष ध्यान देने की बा ये है कि जलवायुपरिवर्तन के कारण यदि
मौसमसंबंधी पूर्वानुमान गलत हो सकते हैं या पूर्वानुमान लगाए ही न जाएँ
!किंतु पूर्वानुमान भी लगाए जाएँ और उसके अनुसार भविष्यवाणियाँ भी कर दी
जाएँ !फिर उनके सही निकलने के लिए समाज से प्रतीक्षा करने को कहा जाए सही
निकल जाए तो ठीक गलत निकल जाए तो उसके लिए जलवायु परिवर्तन को दोषी बताया
जाए |
बहुत लोगों के संक्रमित होने और मृत्यु होने के लिए प्रतिरोधकक्षमता की कमजोरी को जिम्मेदार मान लिया जाता है |
महामारी संबंधी संक्रमण घटने के लिए कोविड नियमों का पालन,कुछ औषधियों
का सेवन,कुछ वैक्सीनों के प्रभाव से स्वास्थ्य लाभ हुआ ऐसा मान लिया जाता
है |
जिसने समय के प्रवाह से अलग हटकर चलने का प्रयत्न किया उसका प्रयत्न सफल तो होना ही नहीं होता है वो असफल या फिर नष्ट होता है |
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