वैज्ञानिकों के अनुमान गलत निकले

  गणित के बिना कैसे लगाए जा सकते हैं  पूर्वानुमान !

        महामारी हो या प्राकृतिकघटनाएँ सबके घटित होने का कारण समय ही होता है | अच्छे समय में अच्छी घटनाएँ घटित होती हैं और बुरे समय में बुरी घटनाएँ घटित होते दिखाई  देती हैं| प्रकृति और जीवन में निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं | ऐसे सभी परिवर्तनों का कारण समय होता है| कब अच्छा समय आएगा और कब बुरा इसका पूर्वानुमान लगाने के लिए समय एक माध्यम है | इसे प्राचीन गणितीयपद्धति के आधार पर हजारों वर्ष पहले सिद्ध कर दिया गया था कि समय में होने वाले परिवर्तनों  के विषय में गणितीयपद्धति के आधार पर पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि  कब कैसा समय चलेगा | समय के अनुसार ये पता किया जाना आसान हो जाएगा कि कब कैसी प्राकृतिक घटनाएँ घटित होंगी | 
    इतालवी खगोलशास्त्री गैलीलियो का एक प्रसिद्ध कथन है कि गणित वह भाषा है जिसमें ईश्वर ने ब्रह्मांड लिखा है ।भारतीय प्राचीन वैज्ञानिकों ने तो सूर्य चंद्र ग्रहणों एवं ग्रह संचार की सही गणना करके आदि काल में ही ऐसा करके दिखा  दिया था कि  संसार एवं प्रकृति और जीवन में घटित होने वाली घटनाओं को  समझने का सर्वोत्तम माध्यम गणित ही है| इस चराचर जगत में जो भी घटना घटित हुई है या होनी है | उसे गणित के बिना समझना संभव नहीं है |  गणित को विज्ञान की भाषा कहा जाता है। 
   प्राकृतिकघटनाओं और  महामारियों को गणित के बिना  समझना संभव ही  नहीं है ! यदि ऐसा न होता तो मौसमी संबंधी घटनाओं या कोरोना जैसी महामारियों तथा उसकी आने जाने वाली लहरों के विषय में सही सही अनुमान पूर्वानुमान आदि पहले से लगा लिए गए होते ! अनुसंधानों की जिम्मेदारी सँभाल रहे वैज्ञानिकों को ऐसा करने से रोका तो किसी ने नहीं था !

      गलत क्यों निकलते रहे वैज्ञानिकों के द्वारा लगाए गए अनुमान पूर्वानुमान !
     महामारी के विषय में
अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाए ही नहीं जा सके | उसकी लहरों के विषय में जो पूर्वानुमान लगाए जाते रहे वे गलत निकल जाते रहे| इसके लिए महामारी के स्वरूपपरिवर्तन को जिम्मेदार ठहरा दिया गया | महामारी आने  एवं उसकी लहरों के आने जाने तथा स्वरूप परिवर्तन के लिए तापमान बढ़ने घटने एवं मौसम संबंधी अन्य घटनाओं को जिम्मेदार बताया गया |अब मौसम संबंधी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने की आवश्यकता पड़ीं तो इसके लिए कोई विज्ञान नहीं है| मौसमसंबंधी जो घटनाएँ एक जगह घटित होते दिखाई देती हैं | उन्हें उपग्रहों रडारों की मदद से देखकर उनकी गति एवं दिशा के अनुसार दूसरे स्थान पर पहुँचने के विषय में बता दिया जाता है | इस जुगाड़ से महामारी को समझना संभव हो नहीं सकता | दीर्घावधि मौसम पूर्वानुमान लगाने के लिए कोई विज्ञान नहीं है | इसलिए प्राकृतिक आपदाओं के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान गलत निकलते हैं |उनके गलत निकलने का कारण जलवायु परिवर्तन को बता दिया जाता है | जलवायु परिवर्तन होता है या नहीं होता है उसके होने के लक्षण क्या हैं और भविष्य में उसके प्रभाव कैसे दीख पड़ेंगे | इस विषय का कोई वैज्ञानिक तर्कसंगत उत्तर नहीं होता है |  

    ऐसी परिस्थिति में जब मौसम संबंधी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए कोई विज्ञान नहीं है ,तो उसके आधार पर महामारी संबंधी पूर्वानुमान कैसे लगाए जा सकते हैं 

 वायु प्रदूषण 


8 अप्रैल 2020 को प्रकाशित :अधिक वायु प्रदूषण क्षेत्र में रहने वाले लोगों पर कोरोना से मरने का अधिक खतरा: शोध!अधिक वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने से कोविड-19 के कारण मौत होने का अधिक जोखिम है। ऐसा अमेरिका में किए गए एक अध्ययन में दावा किया गया है। हार्वर्ड टी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं ने कहा कि शोध में सबसे पहले लंबी अवधि तक हवा में रहने वाले सूक्ष्म प्रदूषक कण (पीएम2.5) और अमेरिका में कोविड-19 से मौत के खतरा के बीच के संबंध का जिक्र किया गया है। 
26 अप्रैल 2020 -वायु प्रदूषण के कणों पर कोरोना वायरस का चला पता, ज्यादा प्रदूषित इलाके में देखा गया उच्च संक्रमण !पिछले अध्ययनों से पता चला है कि वायु प्रदूषण के कण रोगाणुओं को पनाह देते हैं और इसके जरिये बर्ड फ्लू, खसरा और अन्य बीमारियों के संक्रमण की संभावना रहती है। वायु प्रदूषण के कणों की संभावित भूमिका व्यापक प्रश्न से जुड़ी है कि कोरोना वायरस कैसे फैलता है?  
 29 अप्रैल 2022 विशेषज्ञ कोरोना की पहली लहर के बाद ही यह दावा कर चुके हैं कि खासकर दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के पीछे यहां के वायु प्रदूषण की भी भूमिका है। इसके साथ वायु प्रदूषण ऊपर से कोरोना, जानलेवा साबित होते हैैं। जानकरों का कहना है कि दिल्ली में इस साल अप्रैल का औसतन प्रदूषण मार्च की तुलना में 19 प्रतिश ज्यादा और फरवरी से 11 प्रतिशत ज्यादा रहा था। स्वीडन के वैज्ञानिकों ने अध्ययन में कहा था कि 20 अप्रैल को प्रदूषण और कोरोना के लिंक पर छपी स्टडी के मुताबिक प्रदूषण स्तर बढ़ने पर कोरोना के मामले भी बढ़ने लगते हैं।
वायु प्रदूषण का खंडन :
   सन 2020 के अक्टूबर नवंबर दिसंबर में वायु प्रदूषण तो बहुत बढ़ता जा रहा था किंतु कोरोना संक्रमितों की संख्या दिनोंदिन कम होती जा रही थी | फरवरी 2021 के बाद वायु प्रदूषण क्रमशः कम होता जा रहा था अप्रैल मई तक  वर्षा ही होती रही थी इसके बाद भी मार्च  अप्रैल 2021 में कोरोना सबसे अधिक हिंसक होता चला गया  था  | वायुप्रदूषण -पिछले कुछ  वर्षों से निरंतर बढ़ते देखा रहा है  | 

 विनम्र निवेदन -ऐसा यहाँ ध्यान देने लायक विशेष बात यह है कि वायु प्रदूषण बढ़ने से यदि कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती है तो सन 2020 के अक्टूबर नवंबर दिसंबर में वायु प्रदूषण तो बहुत बढ़ता जा रहा था किंतु कोरोना संक्रमितों की संख्या दिनोंदिन कम होती जा रही थी | फरवरी 2021 के बाद वायु प्रदूषण क्रमशः कम होता जा रहा था अप्रैल मई तक  वर्षा ही होती रही थी इसके बाद भी मार्च  अप्रैल 2021 में कोरोना सबसे अधिक हिंसक होता चला गया  था  | ऐसा क्यों देखने को मिला ?

    दूसरी बात वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना बढ़ता है यदि ये बात विश्वास करने योग्य है तो सन 2020 के अक्टूबर नवंबर दिसंबर में वायु प्रदूषण तो बहुत बढ़ता जा रहा था किंतु कोरोना संक्रमितों की संख्या दिनों दिन कम होती चली जा रही थी  ऐसा क्यों हुआ ? इसके दो ही कारण हो सकते हैं पहली बात तो वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना पर कोई प्रभाव ही न पड़ता हो अर्थात कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती ही न हो | दूसरी बात  जिसे वैज्ञानिक लोग वायु प्रदूषण समझ रहे हैं वह वायु प्रदूषण हो ही न !वैज्ञानिक स्वतः स्वीकार कर रहे हैं कि पिछले कुछ वर्षों से सूरज की रोशनी पाँच गुणा तेजी  से घटी  है |ऐसी स्थिति में सूरज की किरणों की मंदता को हम भ्रमवश तो वायुप्रदूषण नहीं समझ रहे हैं | 

    प्राकृतिक घटनाओं के साथ ऐसा क्यों हो रहा है क्या इनसे महामारी का कोई संबंध है इस संबंध को खोजना अनुसंधानों की जिम्मेदारी है | यदि ऐसी प्राकृतिक घटनाओं का महामारी से कोई संबंध  नहीं है तो इसी समय इतने अधिक ऐसी ऋतु विपरीत घटनाओं के घटित होने का कारण क्या  है |इस संबंध  को खोजने की वैज्ञानिकों की जिम्मेदारी है | इनघटनाओं के तुरंत बाद महामारी प्रारंभ हुई है इसलिए ये विशेष महत्त्व रखती हैं | इसके विषय में पूर्वानुमान लगाना तो दूर आज तक यही नहीं पता लगाया जा सका कि वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार वास्तविक कारण क्या हैं?दीपावली के पटाखों को वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार बताने वाले यह नहीं सोचते कि चीन में तो दीवाली नहीं मनती वहाँ क्यों बढ़ा हुआ है वायु प्रदूषण | इसके  साथ ही इस बात  का भी  पता लगाया जाना चाहिए कि विगत कुछ वर्षों में क्रमिक रूप से बढ़ते जा रहे वायु प्रदूषण का कोरोना महामारी से कोई संबंध था या नहीं इसका भी पता लगाया जाना  चाहिए | 

_______________________ जलवायु परिवर्तन

14 मई 2020-कोरोना वायरस: इस बार मई के महीने में भी गर्मी नहीं, क्या हैं कारण !क्या ये जलवायु परिवर्तन है?सेंटर ऑफ़ साइंस ऐंड एनवायर्नमेन्ट में जलवायु मामलों पर नज़र रखने वाले तरुण गोपालकृष्णन ने बीबीसी को बताया कि केवल उत्तर भारत या पूर्वी भारत में ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत में मौसम बीते सालों की अपेक्षा इस साल अलग ही है.| 

वैज्ञानिकों पर भड़के ट्रंप

29 दिसंबर 2017-ट्रंप ने ग्‍लोबल वार्मिंग का बनाया मजाक, कहा- बर्फीली हवाओं से दिलाएगा राहत !अमेरिका का पूर्वी क्षेत्र इन दिनों कड़ाके की सर्दी से गुजर रहा है। सर्द हवाओं ने आम जनजीवन को पूरी तरह अस्‍त-व्‍यस्‍त कर दिया है, पर अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इस मौके का इस्‍तेमाल ग्‍लोबल वार्मिंग पर तंज कसने के लिए किया। उन्‍होंने मजाकिया लहजे में कहा कि धरती के बढ़ते तापमान से शायद कड़ाके की सर्दी से निपटने में मदद मिल सके।
29 जनवरी  2019-ट्रंप ने 'ग्लोबल वार्मिंग' का फिर उड़ाया मजाक,!कोरोना को लेकर अपने देश के वैज्ञानिकों पर भड़के ट्रंप, कही ये बात
22 मई 2020-डोनाल्ड ट्रंप ने इस हफ्ते दो बार कहा कि हमारे देश के वैज्ञानिकों की बात बेसिर पैर की है. उनकी बातों में कोई सबूत नहीं है.| 
 5 मई 2020 दुनिया के प्रमुख वैज्ञानिक इस बात से सहमत हैं कि जलवायु परिवर्तन मानव-प्रेरित है और चेतावनी देता है कि तापमान में प्राकृतिक उतार-चढ़ाव मानव गतिविधि द्वारा बढ़ाए जा रहे हैं। इसे जलवायु परिवर्तन या ग्लोबल वार्मिंग के रूप में जाना जाता है। मानव गतिविधियों ने कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में वृद्धि की है, जिससे तापमान बढ़ रहा है। चरम मौसम और पिघलने वाली ध्रुवीय बर्फ संभावित प्रभावों में से हैं। पृथ्वी का औसत तापमान लगभग 15C है लेकिन अतीत में बहुत अधिक और कम रहा है।जलवायु में प्राकृतिक उतार-चढ़ाव आते हैं लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान अब कईगुना अधिक तेजी से बढ़ रहा है।

 कोविड नियमों का पालन कितना आवश्यक था ?

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अनुमान : वैज्ञानिकों के वक्तव्य लिंक सहित ! 2(इसका उपयोग कर लिया गया !)

13-7-24

mahamari