मध्यम खंड
प्रकृति में कुछ भी अचानक नहीं घटित होने लगता है सब कुछ सुनियोजित है|प्रकृति सृष्टि के आरंभिक काल से ही किसी अज्ञात शक्ति के अनुशासन से अनुशासित है या फिर स्वानुशासित है |कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की तरह अनंत काल से समस्त प्राकृतिक घटनाएँ अपने अपने समय पर घटित होती जा रही हैं | ऋतुएँ अपने अपने समय पर आती जाती रहती हैं | सूर्य समय पर उदित एवं अस्त होता रहता है |अमावस्या पूर्णिमा जैसी तिथियाँ अपने अपने समय पर घटित होती रहती हैं |ऐसी घटनाओं का क्रम तो आदि काल से निर्धारित है एक जैसा है | ऐसी घटनाएँ हमेंशा से एक निश्चित समय के अंतराल से घटित होती देखी जा रही हैं इनके समय में बार बार बदलाव नहीं होता है | इनका यह क्रम आदि काल से ही चला आ रहा है |
सूर्य चंद्र ग्रहण जैसी प्राकृतिक घटनाएँ केवल अमावस्या और पूर्णिमा जैसी तिथियों में ही घटित होती हैं किंतु ऐसी घटनाएँ प्रत्येक अमावस्या और पूर्णिमा जैसी तिथियों में नहीं घटित होती हैं फिर भी किस अमावस्या और पूर्णिमा में ग्रहण पड़ेगा और किसमें नहीं पड़ेगा|कितने बजे से कितने बजे तक पड़ेगा | कौन ग्रहण कुल कितने समय तक रहेगा |किस ग्रहण का ग्रास किस ओर से प्रारंभ होगा | किस ग्रहण का आकार कैसा होगा यह भी उसी कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की तरह पूर्व निर्धारित है|कुल मिलाकर सब कुछ अपने अपने निर्धारित समय से निश्चित समयांतराल से घटित होता चला आ रहा है | भविष्य में भी ऐसा ही होता रहेगा ऐसा माना जाना चाहिए यही प्राकृतिक नियम है |
ऐसी घटनाओं का प्रत्यक्ष रूप से कोई प्राकृतिक क्रम भले न दिखाई पड़ता हो और लगता हो कि ये घटनाएँ अचानक घटित होती हैं किंतु ऐसा नहीं है इनका भी सुनिर्धारित प्राकृतिक क्रम है ऐसी घटनाएँ भी प्रकृति के कठोर नियमों से निबद्ध हैं | ये भले हमेंशा न घटित होती हों हर अमावस्या और पूर्णिमा में न घटित होती हों किसी किसी में ही घटित होती हों इनके घटित होने का समयांतराल हमेंशा घटता बढ़ता रहता हो | सब कुछ असमान होने के बाद भी इनके भी घटित होने का कोई न कोई प्राकृतिक क्रम तो है इसीलिए इनके विषय में पूर्वानुमान लगा पाना संभव हो पाया है | इनके विषय में ऐसे ऐसे गणितीय सूत्र खोज लिए गए हैं जिनके आधार पर महीनों वर्षों शदियों पहले ऐसी घटनाओं के विषय में सही एवं सटीक पूर्वानुमान लगा लिए जाते हैं |
सूर्य चंद्र ग्रहणों की तरह ही अचानक घटित होती प्रतीत होने वाली महामारियाँ भूकंप सुनामी बज्रपात वर्षा बाढ़ एवं आँधी तूफ़ान जैसी अचानक घटित होते दिखने वाली प्राकृतिक घटनाएँ भी अचानक नहीं घटित हो रही होती हैं अपितु ये सब भी उसी प्रकार से पूर्व निर्धारित हैं| जिस प्रकार से प्रत्येक वर्ष में घटित होने वाली सभी ऋतुएँ सूर्योदय सूर्यास्त एवं सूर्य चंद्र ग्रहण आदि हैं | इनके घटित होने का समय ,घटनाकाल ,घटना समाप्ति काल एवं इनका वेग आदि सब कुछ पूर्व निर्धारित है |
सूर्य चंद्र ग्रहणों में तथा महामारी भूकंप सुनामी बज्रपात वर्षा बाढ़ एवं आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं में अंतर मात्र इतना है कि सूर्य चंद्र ग्रहणों के क्रम को अनुसंधान पूर्वक समझा चुका है उसके विषय में गणितीय पद्धति सूत्र आदि खोजे जा चुके हैं |जिनके आधार पर गणितीय (मॉडल)प्रणाली बहुत पहले तैयारकर ली गई थी | उसी के आधार पर सूर्य चंद्र ग्रहणों के विषय में तो हजारों वर्ष पहले पूर्वानुमान लगा लिया जाता है किंतु महामारी भूकंप सुनामी बज्रपात वर्षा बाढ़ एवं आँधी तूफ़ान जैसी प्राकृतिक घटनाओं को समझने एवं इन इनके विषय में पूर्वानुमान लगाने की दृष्टि से मेरी जानकारी के अनुशार अभी तक कोई ऐसी विश्वसनीय गणितीय (मॉडल)प्रणाली अभी तक विकसित ही नहीं की जा सकी है जिसके आधार पर ऐसी प्राकृतिक घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सके |
सूर्य चंद्र ग्रहणों से लेकर सभी प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने का कारण
एवं उनके विषय में पूर्वानुमान लगाने जैसे अत्यंत असंभव से कार्य को
जिस गणितीय (मॉडल)प्रणाली के द्वारा समझा या किया जा सका है उसी प्रणाली के
द्वारा ही महामारी भूकंप सुनामी बज्रपात वर्षा बाढ़ एवं आँधी तूफ़ान जैसी
घटनाओं के घटित होने का कारण एवं उनके विषय में पूर्वानुमान लगाने
जैसे कठिन कार्य को भी सफल बनाया जा सकता है | यह कार्य आज संभव हो या हजार
वर्ष बाद हो किंतु गणितीय (मॉडल)प्रणाली के द्वारा ही इस रहस्य को
सुलझाना होगा इसके
अतिरिक्त मुझे और कोई दूसरा विकल्प दिखता नहीं है | उपग्रहों रडारों की
मदद से किसी एक जगह घटित हो रही ऐसी प्राकृतिक घटनाओं की जासूसी करके ऐसी
प्राकृतिक घटनाओं के रहस्य को सुलझा पाना कभी संभव नहीं हो पाएगा ऐसा मैं
विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ |जासूसी विज्ञान के आधार पर हजारों वर्ष तक
समय और धन क्यों न बर्बाद किया जाता रहे किंतु इनसे कोई परिणाम निकलने वाला
नहीं है | आज के लगभग डेढ़ सौ वर्ष पहले जिन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए
भारतीय मौसम विज्ञान की स्थापना की गई थी उस दिशा में चलाए जा रहे अनुसंधान
अपने लक्ष्य की ओर यदि एक तिल भर भी आगे बढ़ पाए हों तो भी यह
वैज्ञानिक समाज के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जानी चाहिए |प्राकृतिक घटनाओं
एवं उनके घटित होने के पहले और बाद में दिए जाने वाले वैज्ञानिक वक्तव्य
अपनी निर्थकता सिद्ध करने करे लिए पर्याप्त प्रमाण माने जाने चाहिए |
मौसम संबंधी घटनाओं का अध्ययन पहले तो आकाशीय तापमान बादल वायुप्रवाह आदि आकाशीय वातावरण में घटित होने वाली घटनाओं के माध्यम से किया जाता था जबकि वर्तमान समय में ऐसी आकाशस्थ घटनाओं के आधारभूत कारणों की खोज अलनीनो ला-निना जैसी घटनाओं के माध्यम से समुद्र में भी होते देखी जा रही होती है | भूकंप जैसी घटनाओं के आधार बहुत कारण आकाश में भी खोजे जा रहे हैं | उनके द्वारा ऐसी घटनाओं को आपस में जोड़े जाने का आधार क्या है ?उसमें सच्चाई कितनी है एवं उसमें अनुसंधान योग्य अनुभव क्या मिला है ?
भारतीय परंपरा में तो आकाश से लेकर पाताल तक,वृक्षों से लेकर बनस्पतियों तक,आकाशस्थ जल से लेकर समुद्री जल तक , मैदानी भागों से लेकर पहाड़ी भागों तक एवं मनुष्यों से ले कर पशु पक्षियों तक सभी प्रकार के लक्षणों को ऐसे अनुसंधानों में सम्मिलित किया जाता रहा है | सभी के संयुक्त अनुसंधान के आधार प्रकृति एवं जीवन से संबंधित घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जाता रहा है | भारत वर्ष के प्राचीन संहिता ग्रंथों इस प्रकार का भण्डार भरा हुआ है जिस के आधार पर प्रकृति एवं जीवन से जुड़े अनेकों अनुद्घाटित रहस्यों को सुलझाया जा सकता है उनसे संबंधित घटनाओं के लिए जिम्मेदार आधारभूत कारणों को खोजा जाता रहा है उसके आधार पर ऐसी संभावित घटनाओं के विषय में महीनों वर्षों सदियों पहले पूर्वानुमान लगाया जाता रहा है |
घाघ जैसे कवियों ने भारत के इसी परंपरा विज्ञान के आधार पर किए गए
अनुसंधानों उनसे प्राप्त अनुभवों के आधार पर की गई भविष्य वाणियों के बल पर
प्रसिद्धि पाई है |
इसमें घाघ ने बताया कि यदि पूर्व दिशा में बिजली चमक रही हो और उत्तर दिशा की ओर हवा चल रही हो तो अधिक पानी बरसेगा इसलिए बैलों को अंदर छाया में बाँध लो |
घाघ की ऐसी कहावतों का अभिप्राय उन घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान बताना तो था ही किंतु केवल मौसम संबंधी पूर्वानुमान बताना ही नहीं था अपितु जिस प्रकार की घटना वातावरण में घटित होते देखी जा रही थी उससे प्रत्यक्ष रूप से यह समझाया जा रहा होता था कि देखो वायुमंडल में या आकाश में या प्रकृति के अन्य तत्त्वों जब ऐसे लक्षण प्रकट होने लगते हैं तब इसप्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ घटित होती हैं या होने की संभावना होती है |ये शिक्षा भी दी जा रही होती थी | कुछ समय बाद जब उस प्रकार के पूर्वानुमान सच होने लगते थे और उस प्रकार की घटनाएँ घटित होने लगती थीं |तो उनका विश्वास बढ़ना स्वाभाविक था | इससे लोगों को मौसम पूर्वानुमान तो बताया ही गया इसके साथ ही उन्हें प्रकृति के वे लक्षण भी समझा दिए जाते थे और उस प्रकारके पूर्वानुमान सच होते दिखा भी दिए जाते थे |
इस प्रकार से समय समय पर प्रकृति में उभरने वाले अनेकों प्रकार के प्राकृतिक लक्षणों का उपयोग महाकवि घाघ भविष्य में घटित होने वाली संभावित प्राकृतिक घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए किया करते थे और वे सच घटित हुआ करती थीं इसीलिए उनकी इतनी अधिक प्रसिद्धि हुई |
इसी प्रकार से वाराहमिहिर आदि अनेकों प्राचीन बड़े प्रकृति वैज्ञानिकों ने प्रायः प्रत्येक प्राकृतिक घटना को तीन भागों में बाँटा है | उसका अभिप्राय यह होता था कि जो प्राकृतिक घटना आज घटित हो रही है उससे संबंधित कोई घटना अतीत में पहले घटित हो चुकी होगी जिसने वर्तमान समय में घटित हो रही घटना की सूचना अवश्य दी होगी | उस सूचना के अनुशार जो घटना आज घटित हो रही है वह भविष्य में घटित होने वाली किसी प्राकृतिक घटना की सूचना दे रही है |
इसलिए अतीत में घटित हुई किसी प्राकृतिक घटना का अनुसंधान करके यदि वर्तमान घटना के विषय में पूर्वानुमान लगाया गया होता तो वर्तमान समय में घटित हो रही घटना के विषय में पूर्वानुमान सभी को पता होता और वर्तमान समय घटित हो रही घटना का अनुसंधान करके इसके कारण भविष्य में घटित होने वाली घटना के पूर्वानुमान लगाया जा सकता है |
इस प्रकार से प्रकृति में घटित होने वाली कोई एक घटना कई कई दूसरी प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित होती है यह घटनाचक्र लगभग बारह वर्ष का होता है इस बारह वर्ष में उस एक घटना से संबंधित कई घटनाएँ स्वयं तो अपने अपने समय पर घटित होती रहती हैं इसके साथ ही अपने से संबंधित भविष्य में घटित होने वाली संभावित कुछ दूसरी घटनाओं के विषय सूचना दे जाती हैं| प्रकृति विज्ञान में उस एक प्राकृतिक घटना को देखकर कुछ दूसरी संभावित प्राकृतिक घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगा लिया जाता है |वह एक प्राकृतिक घटना मौसम से संबंधित हो सकती है |भूकंप आदि पृथ्वी से संबंधित हो सकती है बादलों ग्रहों नक्षत्रों या आकाश मंडल से संबंधित हो सकती है वृक्षों बनस्पतियों फसलों से संबंधित हो सकती है कुओं तालाबों झीलों नदियों समुद्रों आदि से या पहाड़ों आदि से जुड़ी हो सकती है |समस्त जीव जंतुओं से जुड़ी या फिर मनुष्य जीवन से जुड़ी किसी रोग या महारोग के रूप में कोई घटना दिखाई पड़ सकती हैं | यह आवश्यक नहीं कि ये सभी घटनाएँ किसी एक प्रकार की ही हों अपितु भिन्न भिन्न प्रकार की भी होती हैं |
कई बार कुछ प्राकृतिक घटनाएँ कुछ दूसरी संभावित प्राकृतिक घटनाओं की
सूचना दे रही होती हैं जबकि कई बार कुछ प्राकृतिक घटनाएँ कुछ दूसरी संभावित
मनुष्य जीवन से जुड़ी घटनाओं की सूचना दे रही होती हैं |
तूफ़ानों से भूकंप की सूचना -
22अप्रैल 2015 को नेपाल में जिस जगह एक भयंकर हिंसक तूफ़ान आया था उसमें भी नेपाल के साथ साथ भारत के भी सहरसा,
मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार व किशनगंज आदि जिले तूफान से बुरीतरह प्रभावित
हुए थे यहाँ भी काफी लोग मारे गए थे |यह तूफ़ान 25 अप्रैल 2015 को आने वाले भूकंप की सूचना दे रहा था |
नेपाल मे 25 अप्रैल 2015 की सुबह 11 बजकर 56 मिनट पर 7.8 तीव्रता का भूकंप का एक हिंसक झटका लगा था | इस भूकंप का केंद्र लामजुंग से 38 किलोमीटर दूर था | इस भूकंप ने राजधानी काठमांडु समेत कई शहरों को तबाह कर दिया था जिसमें बहुत लोग मारे गए थे | भूकंप के झटके चीन, भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी महसूस किये गये। नेपाल के साथ-साथ चीन, भारत और बांग्लादेश में भी काफी लोगों की मृत्यु हो गई थी |
इस भूकंप के विषय में सूचना देने के लिए इस भूकंप के आने के लगभग बारह दिन पहले से इस क्षेत्र में लोगों कुछ अजीब प्रकार के रोग हुए थे लोगों को उलटी दस्त खाँसी दमा सर दर्द एवं चक्कर आने जैसी घटनाएँ लोगों में बड़ी मात्रा में देखने को मिली थीं |
कुछ स्थानों पर वृक्षों बनस्पतियों में अस्वाभाविक बदलाव होते देखे गए थे चूहे मेढक चीटी जैसे जीव जंतुओं के व्यवहार में बदलाव आते देखे गए थे |
तूफ़ान और भूकंप
जोधपुर में 15-11-2020को भयंकर तूफ़ान आया था ये तूफ़ान यहीं पर 17 नवंबर को आने वाले भूकंप की सूचना दे रहा था |
भूकंप :जोधपुर में 17-11-2020को 6:57 AMपर 'सन्निपातज'भूकंप |3.0 तीव्रता !
बाढ़ की सूचना देने वाले भूकंप -
मद्रास में भीषण बाढ़ : नवंबर 2015 में मद्रास में भीषण बारिश होनी थी| जिसकी सूचना देने 26-10-2015 को भारत में एक भूकंप आया था जो भारत के समुद्र किनारे वाले क्षेत्र में अधिक वर्षा होने की सूचना दे रहा था | इसीलिए भूकंप के प्रभाव से 29 अक्टूबर को भीषण बादल आ गए थे इसके बाद 45 दिनों तक मद्रास में भीषण वर्षा हुई थी इससे पहले वर्षा के कहीं कोई आसार नहीं थे |
इसीप्रकार से13-4-2016 को भारत के असम आदि प्रदेशों में भूकंप आया था जो उस क्षेत्र में भीषण वर्षा की सूचना दे रहा था इसलिए उस भूकंप के बाद 62 दिनों तक उस क्षेत्र में भीषण बाढ़ आई थी |
वर्षा रोकने वाले भूकंप :हिमाचल में घनघोर वर्षा हो रही है उसी बीच आज दोपहर 24-9-2018 दोपहर 2. 22 बजे शिमला में भूकंप आया था इसके प्रभाव से शिमला में कई दिनों से चल रही घोर बरिस तत्काल बंद हो गई थी ! केवल इसी बात की घोषणा करने आया था यह भूकंप !
कुल मिलाकर प्रकृति में घटित होने वाली प्रत्येक घटना कोई न कोई अच्छा बुरा संकेत अवश्य दे रही होती है |वर्तमान समय में उन्हें समझने वाले विद्वानों का नितांत अभाव है | प्राचीन काल में ऐसे प्राकृतिक संकेतों को समझने वाले लोग इन्हें शकुन अपशकुन मानकर गणित विधा से इनके विषय में अनुसंधान पूर्वक इस बात का पता लगा लिया करते थे कि इस प्राकृतिक घटना के माध्यम से प्रकृति के द्वारा क्या संदेश दिया जा रहा है ऐसे संकेतों से मिले प्राकृतिक संदेशों को बहुत लोग आकाशवाणी के रूप में भी जानते हैं | किसी भी कालखंड में घटित होने वाली प्रकृति या जीवन से संबंधित सभी घटनाओं के घटित होने का कारण एवं पूर्वानुमान जानने के लिए उससे पहले घटित होने वाली घटनाओं के विषय में अनुसंधान किया जाना आवश्यक होता है | इसके साथ ही उन घटनाओं के माध्यम से प्रकृति क्या संदेशा दे रही है उसे समझने के लिए उन प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने के समय के विषय में गणितीय अनुसंधान करना होता है | इसी प्रक्रिया से कुछ भूकंपों एवं उनसे प्राप्त कुछ सूचनाओं को यहाँ उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है |
भारत पकिस्तान संबंध और भूकंप
आपको याद होगा कि अभी निकट समय में सन 2015 सितंबर तक भारत पाकिस्तान के आपसी संबंधों में भारी खिंचाव चला आ रहा था अक्टूबर के उत्तरार्द्ध से दोनों देशों के आपसी संबंध सामान्य होने लगे थे जिसकी सूचना देने के लिए भारत में 6 महीने के अंदर प्रकृति में तीन भूकंप घटित हुए थे | पहली बार 26-10-2015 को हिंदूकुश में जो भूकंप आया था उसके झटके भारत पाकिस्तान दोनों में लगे थे |
यह भूकंप भारत और पाकिस्तान दोनों के ही आपसी संबंध सामान्य होने होने की सूचना दे रहा था | जिस दिन भूकंप आया था उसी दिन गीता को पाकिस्तान से भारत लाया गया था | दूसरा भूकंप 25 दिसंबर 2015 को आया था | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी इसीदिन नवाज शरीफ के यहाँ अचानक पाकिस्तान गए थे | तीसरा भूकंप 2 जनवरी 2016 को आया था इसी दिन पठानकोट में हमला हुआ था | इन तीनों भूकंपों का केंद्र हिंदूकुश ही था और इन तीनों के ही झटके भारत पाकिस्तान दोनों में लगे थे | ये तीनों भूकंप भारत पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सामान्य बनाने की सूचना दे रहे थे | जहाँ तक बात पठानकोट में आतंकी हमले की है तो यह भूकंप इस बात की सूचना दे रहा था कि इस हमले में पाकिस्तान की सरकार सम्मिलित नहीं है | वह अब भी भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाए रखना चाहती है यह हमला आतंकियों के किसी गुट ने व्यक्तिगत स्तर पर किया है |गणितीय दृष्टि से ये तीनों भूकंप एक ही प्रजाति के होने के कारण ये सूचनाएँ भी एक प्रकार की ही दे रहे थे |
इसके अतिरिक्त 10-4-2016 को भारत और पकिस्तान में जो संयुक्त भूकंप आया था इसका केंद्र भी हिंदूकुश ही था | भूकंप के समय का गणितीय अनुसंधान करने से पता लगता है कि यह भूकंप आग लगने ,तापमान बढ़ने एवं तनाव बढ़ने की सूचना दे रहा था | इसीलिए यह भूकंप संबंधित देशों अर्थात भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंधों में तनाव तैयार होने की सूचना दे रहा था | इसीकारण पाकिस्तान की लाहौर के कोट लखपत जेल में जेल में 11 अप्रैल 2016 को सरबजीत सिंह के साथ में बंद भारतीय कैदी किरपाल सिंह की मौत हो गई.थी| उसके साथ ही भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंधों तनाव बढ़ता चला गया था |
इसके बाद पाकिस्तान का रुख भारत के प्रति बिगड़ने लगा था जिसकी सूचना देने के लिए 10-4-2016 को जो भूकंप
आया था | वह पाकिस्तान की विश्वसनीयता समाप्त होने की सूचना दे रहा था |
उसके बाद महीनों तक भारत और पाकिस्तान के बीच दिनोंदिन संबंध तनाव पूर्ण होते चले गए
थे |
पुलवामा हमले की सूचना 5 फरवरी से 13 फरवरी तक भूकंपों ने 5 बार दी थी अंत में 14 फरवरी 2019 को हमला हो गया था | दुर्भाग्य से हमें अपने आत्मीय सैनिकों के बहुमूल्य जीवन खोने पड़े थे |
इसी प्रकार से 06 फरवरी 2020 को पुलवामा पुलिस स्टेशन पर ग्रेनेड से हमला हुआ था | इसकी पूर्व सूचना "लद्दाख में 4-2-2020 को 11.25 AM सन्निपातज'भूकंप !तीव्रता 3.6" इस भूकंप ने दी थी |
म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार ने वीभत्स रूप ले लिया है। चश्मदीदों के मुताबिक, पश्चिमी राखीन राज्य में बर्मा की सेना और पैरामिलिटरी फोर्स बच्चों के सिर काट रहे हैं और उन्हें जिन्दा जला रहे हैं। रोहिंग्या उग्रवादियों पर शिकंजा कसे जाने के बाद से करीब 60 हजार रोहिंग्या मुसलमान देश छोड़कर बांग्लादेश की सीमा में जा चुके हैं।इसकी पूर्व सूचने देने आया था यह भूकंप -2-7-2017 \10.57 को तीव्रता 4 . 7 म्यांमार में भूकंप !
भूकंप :म्यांमार में 20-2-2021को 5:31AM पर 'सन्निपातज'भूकंप |4.3तीव्रता !म्यांमार में सेना के विरुद्धविद्रोह फैला है |
भारत चीन संबंध और भूकंप - इसीप्रकार से13-4-2016
को भारत के असम आदि प्रदेशों में एक भूकंप आया था उसके झटके चीन तक लगे थे
अर्थात यह भारत नेपाल और चीन का संयुक्त भूकंप था | जो उस क्षेत्र में
भीषण वर्षा के साथ साथ संबंधित देशों के बीचआपसी संबंधों के मधुर होने की
सूचना दे रहा था इसी भूकंप के प्रभाव से 17 अप्रैल 2016 को भारत
के तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर परिकर ने चीन की यात्रा करके आपसी संबंधों
को मधुर बनाने की पहल की थी | इसके पहले सन 2013 के बाद ऐसी कोई यात्रा नहीं हुई थी
|
08 मई 2020 को भारत से चीन सीमा पर सड़क पहुँचाना बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) के लिए किसी जंग से कम नहीं था। 8 मई को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए चीन सीमा के लिए बनी घट्टाबगढ़-लिपुलेख सड़क का ऑनलाइन उद्घाटन किया था ।
इसी क्षेत्र में 9 मई को एक भूकंप आया था | इसके बाद 12-5-2020 को नेपाल भारत और चीन में संयुक्त भूकंप आया | इस भूकंप ने चीन को भारत के विरुद्ध भड़का दिया यह हिंसक प्रजाति का भूकंप था इसलिए यहाँ कोई बड़ी दुर्घटना घटित होने का अनुमान था | इसीलिए चीन वहाँ सैनिकों और सैन्य साजोसामान की आक्रामक तैनाती करने लगा | भारत सरकार ने खुद सतर्कता बरती एवं एनएसए अजीत डोभाल ने अत्यंत सक्रियता दिखाई | सुरक्षा के लिए सेना सतर्क थी , फिर भी 15/16 जून 2020 की रात को गलवान घाटी में हिंसक संघर्ष हुआ जिस की पूर्व सूचना भूकंप ने9 और 12 मई को ही दे दी थी जबकि 15/16 जून को कश्मीर से गलवान घाटी तक 24 घंटों में 4 बार भूकंप आये थे जो 15 जून को हुए गलवान घाटी के हमले की सूचना दे रहे थे |
भूकंप :अरुणाचल के सुबनसिरी में 16-12-2020को 8.10PM पर 'चंद्रज'भूकंप |3.1 तीव्रता :अपर सुबनसिरी जिले में त्सारीचू नामक गाँव चीन ने बसाया है !जिसकी जानकारी भारत को जनवरी 2021 में लगी !लद्दाख के बाद अरुणाचल प्रदेश में चीन तनाव बढ़ाना चाह रहा है |
भारत-चीन में तनाव चरम पर!10 सितंबर 2020 को मॉस्को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की मीटिंग थी इससे पहले 9 सितंबर 2020 को हुई फिंगर-4 के पास फायरिंग | चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत के खिलाफ नया मोर्चा खोल दिया है। पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे रेजांग ला के पास भारत-चीन सैनिकों के बीच अब भी गतिरोध जारी है। 30-40 चीनी सैनिकों की टुकड़ी वहां मौजूद है।
भूकंप :लद्दाख में 18-2-2021को 7:39AM पर 'सूर्यज'भूकंप |3.7तीव्रता एलएसी से पीछे हटा चीन,
18 -4-2020 को बारामूला के सोपोर में बड़ा आतंकी हमला, सीआरपीएफ के 3 जवान शहीद; 2 घायल |
भूकंप :लद्दाख में 16-2-2021को 10:00PM पर 'वातज'भूकंप |3.5तीव्रता !वहां स्थिति के आकलन के लिए यूरोपीय संघ के दूतों का एक प्रतिनिधिमंडल
17-2-2021को दो दिवसीय दौरे पर राज्य पहुंचा. अधिकारियों ने बताया कि 20
सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जम्मू-कश्मीर पहुंचा.|
17 फरवरी 2021:
जम्मू-कश्मीरके श्रीनगरमें डल झील के पास एक होटलपर आतंकी हमला हुआ
है|श्रीनगर में राजनयिक दौरे के बीच आतंकी हमला,हमलाउस जगह से थोड़ी ही
दूरी पर हुई है जहां 23 देशों के राजनयिक ठहरे हुए हैं.
19 फरवरी 2021:को श्रीनगर आतंकी हमला72 घंटे के अंदर श्रीनगर में दूसरा हमला, पुलिस के दो जवान शहीद, एक संदिग्ध गिरफ्तार !कश्मीर में ताबड़तोड़ आतंकी हमले: 3 जवान शहीद, 3 आतंकी ढेर| मेरठ :पुलिस ने अमरौली उर्फ बड़े गांव में दबिश देकर पुलिस को करीब 15 किलो बारूद, भारी मात्रा मे बने अधबने सुतली बम तथा उपकरण बरामद हुए ।
19 फरवरी को श्रीनगर आतंकी हमला72 घंटे के अंदर श्रीनगर में दूसरा हमला, पुलिस के दो जवान शहीद |
21
Feb 2021 श्रीनगर में कृष्णा ढाबा हमले के साजिशकर्ता की गिरफ्तारी के बाद
पुलिस और सेना ने अनंतनाग के जंगल में आतंकी ठिकाने का भंडाफोड़ किया है।
इस संयुक्त अभियान में सुरक्षा बलों को तीन एके-56 राइफल, दो चीनी पिस्तौल,
दो चीनी ग्रेनेड, एक दूरबीन, छह एके मैगजीन और बाकी अन्य सामान बरामद हुआ
है।
घटना : 6 जून 2021 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा स्थित त्राल चौक इलाके में रविवार को आतंकवादियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के एक वाहन पर ग्रेनेड से हमला किया। इस हमले में कम से कम नौ लोग घायल हो गए हैं। धमाका दक्षिण कश्मीर के अवंतीपोरा के त्राल में एक बस स्टैंड के पास हुआ।
26 जून 2021) की रात में जम्मू के उच्च सुरक्षा से लैस क्षेत्र भारतीय वायु सेना के अड्डे पर शनिवार ड्रोन हमले के माध्यम से दो धमाके हुए। पहला धमाका करीब 1:37 पर वही दूसरा 1:42 पर हुआ।
27 जून 2021 अवंतीपोरा में आतंकियों ने पूर्व एसपीओ के घर घुसकर बरसाईं गोलियां, पति-पत्नी और बेटी की मौत हो गई |
28 जून 2021 की रात जम्मू में तीन बार ड्रोन दिखाई दिए। जानकारी के मुताबिक, रात करीब 1 बजे रत्नचूक में और उसके बाद तीन और चार बजे कुंजवानी में ड्रोन दिखाई दिए।भूकंप: जम्मू कश्मीर के भारत-पाकिस्तान का बॉर्डर में 4-9-2020को 1.53PM तीव्रता 4.03 चंद्रज ' भूकंप !
17
सितंबर 2020 सुरक्षा बलों द्वारा विशेष इनपुट मिलने पर संयुक्त रूप से
ऑपरेशन चलाया गया था. राजौरी में आतंकवादियों के पास से भारी मात्रा में
हथियार और कैश बरामद
किया गया है. पुलवामा जैसा हमला टला !कश्मीर में 52 किलो विस्फोटक बरामद|
‘विस्फोटकों के 416 पैकेट बरामद किए गए, जिनमें से हरेक का वजन 125 ग्राम
था।’ उन्होंने बताया कि इसके बाद इलाके में तलाश अभियान के दौरान एक अन्य
पानी की टंकी से 50 डेटोनेटर बरामद किए|सेना
से बचने के लिए आतंकियों का नया पैंतरा, शोपियां में बनाए अंडरग्राउंड
बंकर |शोपियां के दो और पुलवामा जिले के तीन इलाकों की निगरानी करने वाले
कर्नल एके सिंह और उनके दल के लिए भूमिगत बंकर मिले | राजौरी में लश्कर के 3
आतंकी गिरफ्तार, भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद |जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली है.
यहां राजौरी जिले में लश्कर-ए-तयैबा (LeT) के 3 आतंकी गिरफ्तार हुए हैं.
वहीं अवंतीपोरा में भी 2 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया है| पूर्वोत्तर का तनाव
17
सितंबर 2020 सुरक्षा बलों द्वारा विशेष इनपुट मिलने पर संयुक्त रूप से
ऑपरेशन चलाया गया था. राजौरी में आतंकवादियों के पास से भारी मात्रा में
हथियार और कैश बरामद
किया गया है. पुलवामा जैसा हमला टला !कश्मीर में 52 किलो विस्फोटक बरामद|
‘विस्फोटकों के 416 पैकेट बरामद किए गए, जिनमें से हरेक का वजन 125 ग्राम
था।’ उन्होंने बताया कि इसके बाद इलाके में तलाश अभियान के दौरान एक अन्य
पानी की टंकी से 50 डेटोनेटर बरामद किए|सेना
से बचने के लिए आतंकियों का नया पैंतरा, शोपियां में बनाए अंडरग्राउंड
बंकर |शोपियां के दो और पुलवामा जिले के तीन इलाकों की निगरानी करने वाले
कर्नल एके सिंह और उनके दल के लिए भूमिगत बंकर मिले | राजौरी में लश्कर के 3
आतंकी गिरफ्तार, भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद |जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली है.
यहां राजौरी जिले में लश्कर-ए-तयैबा (LeT) के 3 आतंकी गिरफ्तार हुए हैं.
वहीं अवंतीपोरा में भी 2 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया है| पूर्वोत्तर का तनाव
पूर्वोत्तर का तनाव
पूर्वोत्तर का तनाव
भूकंप :चंबा में 9-3-2021को 12:24PM पर 'सन्निपातज'भूकंप |3.5तीव्रता |उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 9 को ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
भूकंप :त्रिपुरा में बेलोनिया के निकट 24-2-2021को 11:46 PM पर 'सूर्यज'भूकंप |4.8 तीव्रता | यह स्थान पश्चिम बंगाल के पास पड़ता है !जहाँ 23फरवरी को मोदी जी की रैली हुई थी | अमित शाह असम तो जेपी नड्डा बंगाल! बस्तर में नक्सलियों का खूनी खेल:बस्तर के इलाके में नक्सलियों ने खूब खून बहाया है। शनिवार के हमले में कुल 23 जवान शहीद हुए हैं जबकि 33 घायल हैं
नगालैंड में कोहिमा के निकट 15-2-2021को 5:07 PMपर 'सूर्यज'भूकंप |3.4 तीव्रता!म्यांमार के पास भूकंप आया है और म्यांमार में सेना के विरुद्धविद्रोह फैला है |
अरुणाचल प्रदेश-
भूकंप -अरुणाचल प्रदेश(तवांग)में 7-7-2020 को1.33AM \ तीव्रता 3.4सन्निपातज'भूकंप !
तिरप: अरुणाचल प्रदेश के खोंसा इलाके में शनिवार की सुबह सेना ने आतंकवादियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाया है. यहां तिरप जिले में सेना ने 6 आतंकी मार गिराए हैं. ये सारे आतंकवादी नगा उग्रवादी संगठन (NSCN-IM) के सदस्य थे. मारे गए इन आतंकियों के पास से चीन में बने हथियार भी बरामद किए गए हैं | इसकी सूचना दे रहा था ये भूकंप -अरुणाचल प्रदेश(तवांग)में 7-7-2020 को1.33AM \ तीव्रता 3.4 का 'भूकंप !
25 दिस॰ 2020 अरुणाचल प्रदेश में जनता दल यूनाइटेड के सात में से छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने से पार्टी को राज्य में एक बड़ा झटका लगा है |
भूकंप :सिक्किम-भूटानबॉर्डर में 5-4-2021को08:49 PM पर'सन्निपातज'भूकंप |5.4तीव्रता!
बिहार, पश्चिम बंगाल और असम समेत देश के कई राज्यों में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए हैं. सिक्किम, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश में भी भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए. इस दौरान कोई नुकसान नहीं हुआ. दार्जिलिंग समेत उत्तर बंगाल के कई कई जिलों में भी यह झटके महसूस किए गए | 10- 4-2021को कूचबिहार: हिंसक झड़प में 4 लोगों की मौत, पहली बार वोट डालने आए युवक को भी मारी गोली| ये स्थान सिलीगुड़ी के पास ही है |
भूकंप :सिलीगुड़ी में 6-4-2021को07:07 AM पर'सन्निपातज'भूकंप |4.1तीव्रता ! 10- 4-2021को कूचबिहार: हिंसक झड़प में 4 लोगों की मौत, पहली बार वोट डालने आए युवक को भी मारी गोली| ये स्थान सिलीगुड़ी के पास ही है |
घटना : 24 जुलाई को शिलांग की पाइनवुड होटल एनेक्सी में शाम छह बजे से असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और सिक्किम के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख बंद कमरे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक करेंगे ।
घटना :26 जुलाई को मिजोरम पुलिस की फायरिंग में असम पुलिस के छह जवान शहीद, 50 से ज्यादा घायल !सीमा विवाद को लेकर सोमवार को असम-मिजोरम सीमा पर हिंसा भड़क उठी। मिजोरम की ओर से उपद्रवियों द्वारा की गई गोलीबारी में असम के कछार में छह पुलिसकर्मियों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हुए हैं।
असम में तनाव -
असम में तनाव -
भूकंप :असम के नागोयान में 24-12-2020को 7.24 AM पर 'वातज'भूकंप |3.0तीव्रता !25-12-2020 गृह मंत्री अमित शाह 25\26 की रात में पूर्वोत्तर के 2 दिन के दौरे पर गुवाहाटी पहुंचे !26 को रैली हुई थी !गुवाहाटीअसम में कांग्रेस के दो विधायक और बोडो संगठन के एक वरिष्ठ नेता विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले मंगलवार को बीजेपी में शामिल हो गए।
भूकंप :असम में 17-2-2021को 5:54PM पर 'वातज'भूकंप |4.7तीव्रता | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को असम को बड़े तोहफे दिए. पीएम मोदी ने असम के महाबाहु-ब्रह्मपुत्र प्रोजेक्ट की शुरुआत की |
घटना :25-2-2021गृह मंत्री अमित शाह गुरुवार को असम की राजधानी गुवाहाटी पहुँचे.नगाँव के महामृत्युंजय मंदिर में चल रहे प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल होकर की. महामृत्युंजय मंदिर हाल ही में बनकर तैयार हुआ है जहां आज 126 फुट ऊंचे शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की गई. इसके बाद शाह ने एक रैली को संबोधित किया |
भूकंप :असम (मोरीगाँव) में 2-3 -2021को 1.32 AMपर 'वातज'भूकंप |2.9 तीव्रता | प्रियंकागाँधी विश्वनाथ जिले के गोहपुर में चुनावी प्रचार के लिए गई हुई थीं | यह स्थान मोरीगाँव के पास पड़ता है |
भूकंप :असम(सोनितपुर)में 03-5-2021को06:13 PM पर'सन्निपातज'भूकंप |3.7तीव्रता !
भूकंप :असम(मोरिगांव)में 07-5-2021को06:13AM पर'सूर्यज'भूकंप |2.8 तीव्रता !
भूकंप :असम (नागौन) में 10-5-2021को07:05 AM पर'वात'भूकंप |3.0 तीव्रता !
असम में ग्रेनेड हमला :असम के तिनसिकुया जिले में 14 मई शुक्रवार को बम धमाके से अफरा-तफरी मच गई। हमले में दो लोगों की मौत हो गई जबकि दो लोग घायल हो गए।
3 0 मई 2021, एक
लाख का इनामी टीएसपीसी एरिया कमांडर समेत 7 उग्रवादी गिरफ्तार, बड़ी
मात्रा में हथियार बरामद! झारखंड में लातेहार जिले की बालूमाथ थाना पुलिस
ने टीपीसी एरिया कमांडर रमेश गंझू को गिरफ्तार कर लिया है।
9 दिसंबर प्रकाशित हुआ था एवं 12 दिसंबर 2019 को हस्ताक्षर हुए थे |यहीं से समूचे उत्तर भारत में विरोध प्रारंभ हो गया था
20 दिसंबर 2019 को सायं 5.13 तीव्रता का समूचे उत्तर भारत में भूकंप आया था जिसकी 6.8 तीव्रता थी | इसके बाद समूचे उत्तर भारत में हिंसक विरोध प्रारंभ हुआ था
भूकंप :दिल्ली में 2 -12-2020को 4.05AM पर 'वात 'भूकंप |2.7तीव्रता केंद्र 'गाजियाबाद'किसान आंदोलन
भूकंप :दिल्ली(सोनीपत) में 7\8-12-2020को 00.30 AM पर 'सूर्यज 'भूकंप |3.3तीव्रता किसान आंदोलन(भारत बंद का आह्वान)
8 दिसंबर 2020 को राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रणनीति बनाई गई | 9दिसंबर 2020 से आंदोलन प्रारंभ हो गया
भूकंप :राजस्थान के सिरोही और पिंडवाड़ा में 13-12-2020को 8.53 PMपर 'सन्निपातज'भूकंप |
(किसान संगठन 14 दिसंबर को अपने विरोध प्रदर्शन को बड़ा स्वरूप देने की प्लानिंग बना रहे थे ।इसीलिए 13 दिसंबर को किसानों ने राजस्थान से ट्रैक्टर मार्च निकाला और दिल्ली की ओर कूच किया !दिल्ली-जयपुर हाईवे को जाम किया !)14 दिसम्बर को सारे देश के डीसी ऑफिस में प्रोटेस्ट किया जाना था . तथा 14 दिसम्बर को ही सुबह 8 से 5 बजे तक अनशन पर बैठना था | किसान आंदोलन
भूकंप : हिमाचल के मंडी में 15\16 -12-2020को 2.07AM पर 'चंद्रज'भूकंप |3.2तीव्रता किसान आंदोलन
भूकंप :राजस्थान के सीकर में 17-12-2020को 11.25AM पर 'सन्निपातज'भूकंप |2.0 तीव्रताकिसान आंदोलन
भूकंप :दिल्ली में 17-12-2020को 11.46 PMपर 'सन्निपातज'भूकंप |4.2 तीव्रता किसान आंदोलन
भूकंप :दिल्ली में 25 -12-2020को 5.02AM पर 'वातज'भूकंप |2.3तीव्रता किसान आंदोलन
भूकंप :नोए़डा से गाजियाबाद तक 13-1-2021को 7.03 PM पर 'सन्निपातज'भूकंप |2.9तीव्रता !
किसान आंदोलन !26 जनवरी को राजधानी में अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। भारी संख्या में प्रदर्शनकारी ट्रैक्टरों के साथ लाल किला पर पहुंच गई। इसके बाद प्रदर्शनकारी किसान लाल किले के भीतर घुस गए।
भूकंप :दिल्ली में 22 -1-2021को 5.45PM पर 'सूर्यज'भूकंप |2.3तीव्रता !दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में ही भूकंप केंद्र था | किसान आंदोलन
भूकंप :दिल्ली (बहादुरगढ़) में 26 -1-2021को 11.51 PM पर 'चंद्रज'भूकंप |2.7तीव्रता !उत्तर -पश्चिम दिल्ली में ही भूकंप केंद्र था | किसान आंदोलन
भूकंप :दिल्ली में 28-1-2021को 9.17AM पर 'सूर्यज'भूकंप |2.8तीव्रता |भूकंप का केंद्र नईदिल्ली से 2.8किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में था।किसान आंदोलन
21 मई, 2021 को 40 किसान संगठनों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी और तत्काल किसानों के साथ संवाद दोबारा शुरू करने को कहा | संयुक्त किसान मोर्चा ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 मई को देशभर में काला दिवस मनाने का आह्वान किया है, क्योंकि इसी दिन विरोध प्रदर्शन के छह महीने पूरे होने जा रहे हैं।इससे उत्पन्न दुष्परिणामों सूचना दे रहा था ये भूकंप -भूकंप :दिल्ली में 1 - 6 -2021को 9 :54 P M पर'सन्निपातज 'भूकंप 2.4 तीव्रता ! किसान आंदोलन !
भूकंप :दिल्ली में 20 - 6 -2021को 1 2:02 AM पर'वातज 'भूकंप 2.1 तीव्रता ! किसान आंदोलन !
एक बार फिर किसान संगठन केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करने की
तैयारी में जुट गए हैं।किसान संगठन आंदोलन के सात महीने पूरे होने पर 26
जून को देशभर में राजभवनों पर धरना देंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि
वे 26 जून को अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान काले झंडे दिखाएंगे और
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजेंगे।
भूकंप :दिल्ली और आसपास में 5 -7-2021 को 10:36 PM पर'सूर्यज'भूकंप 3.7तीव्रता ! किसान आंदोलन ! भूकंप का केंद्र हरियाणा के झज्जर के उत्तर में 10 किलोमीटर दूर बताया गया है |
घटना: 5 -7-2021 किसानों की मानसून सत्र के दौरान संसद के बाहर हर रोज़ प्रदर्शन की योजना -!7 -7-2021 किसान आंदोलन के समर्थन में दिल्ली-जयपुर हाईवे पर निकाली गई ट्रैक्टर रैली
घटना : 4 -7-2021 को संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान, 5 -7-2021 को किसानों की मानसून सत्र के दौरान संसद के बाहर हर रोज़ प्रदर्शन की योजना -!7 -7-2021 किसान आंदोलन के समर्थन में दिल्ली-जयपुर हाईवे पर निकाली गई ट्रैक्टर रैली | 22 जुलाई सेमॉनसून सत्र खत्म होने तक संसद का घेराव,भूकंप :सोनीपत में 21 -7 -2021को 1:18AM पर'चंद्रज 'भूकंप 2.3 तीव्रता ! किसान आंदोलन
भूकंप :सोनीपत में 21 -7 -2021को 2:06 AM पर'चंद्रज 'भूकंप 2 .1 तीव्रता ! किसान आंदोलन
घटना :22 जुलाई2021 को पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने मोदी सरकार के खिलाफ तीखे तेवर दिखाए हैं. उन्होंने आज सिंघु बॉर्डर पहुँचकर कहा कि कल विपक्षी सांसद संसद का घेराव करेंगे, धरना देंगे और इकट्ठे होकर संसद जाकर किसान विरोधी काले कानून का विरोध करेंगे.| 23 जुलाई को सिंघु बॉर्डर से जनसंसद आयोजित करने जंतर-मंतर पहुंचेंगे ।
भूकंप :दिल्ली-एनसीआर में 12-2-2021को 10:31PM पर 'चंद्रज'भूकंप |6.3तीव्रता |
भारत,
अफ़ग़ानिस्तान तजाकिस्तान, चीन के अलावा पाकिस्तान के पेशावर,
इस्लामाबाद, लाहौर में भी भूकंप के तेज़ झटके महसूस किए गए हैं| इसका
केंद्र ताजिकिस्तान के नज़दीक बताया गया है |दो भूकंप आए हैं, एक
ताजिकिस्तान में और दूसरा अरुणाचल के पास चीन के शिचुआन में.| घटना:-14-2-2021 को पुलवामा हमलेकी दूसरी बरसी पर आतंकियों की साजिश को
नाकाम करते हुए सुरक्षा बलों ने जम्मू में एक बस स्टैंड के पास रविवार को 6
से 6.5 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किया है| 17
Feb 2021जम्मू में बड़ी आतंकी साजिश नाकाम, पुंछ हाईवे पर विस्फोटक से भरे
कुकर को नष्ट किया गया !जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों ने आज बड़ी
आतंरी साजिश को नाकाम कर दिया. जम्मू-पुंछ हाईवे पर मिले संदिग्ध कुकर में
विस्फोट मिला है, जिसे अब नष्ट कर दिया गया है. विस्फोटकों से भरे इस कुकर
को हाईवे पर मंजाकोर्ट के पास रखा गया था.
सुकमा में21-3-2020 को प्रातः 11.14 पर 4.2 तीव्रता का भूकंप !
21मार्च 2020 को सुकमा जिले के एलमागुड़ा में नक्सली गतिविधियों की
सूचना के बाद चिंतागुफा, बुरकपाल और तिमेलवाड़ा से डीआरजी, एसटीएफ और
सीआपीएफ के कोबरा बटालियन के छह सौ जवानों को रवाना किया गया था। उन्होंने
बताया कि जब सुरक्षा बल के जवान मिनपा गांव के जंगल में थे तब लगभग 250 की
संख्या में नक्सलियों ने जवानों पर हमला कर दिया। इस घटना में 17
जवान शहीद हो गए थे |जिस स्थान पर सैनिक भेजे जा रहे थे उसी स्थान पर
उसी दिन उसी समय पर इस भूकंप ने आकर इस हमले की पूर्व सूचना दी थी | भूकंप :
25 मार्च, 2021 को सुकमा में 1.2बजे भूकंप !छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में गुरुवार दोपहर भूकंप के झटके महसूस किए गए
हैं। कोरिया के मनेंद्रगढ़ और चिरमिरी सहित बिलासपुर के मरवाही में लोगों ने
भूकंप के झटके महसूस किए। मुठभेड़ में 17 जवान शहीद हुए।23 मार्च, 2021 को माओवादियों ने नारायणपुर में एक बस को उड़ा दिया। 5 पुलिसकर्मी शहीद हुए, 13 घायल।
8 दिस॰ 2021 — चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत समेत नौ सैन्य अधिकारियों को ले जा रहा आर्मी का हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया ।
भूकंप :सूरत में 27-2-2021को 4:35 AM पर 'सूर्यज'भूकंप |3.1तीव्रता |गुजरात में सूरत नगर निगम (महानगर-पालिका) चुनाव के परिणाम आज जारी हुए।भूकंप :नासिक 17-1-2021को 10:00 PM पर 'सूर्यज'भूकंप |3.5तीव्रता ! भारतीय
जनता पार्टी की ओर से वेब सीरीज तांडव को लेकर आज प्रदर्शन किया जाएगा.
आरोप है कि वेब सीरीज में हिन्दू-देवी देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई
हैसारे देश में हंगामा !18 जनवरी को मुंबई में बीजेपी की ओर से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा, जिसकी अगुवाई भाजपा नेता राम कदम करेंगे !
29\30 जुलाई 2020 को तरनतारन में शराब कांड
भूकंप -पंजाब(तरनतारन ) में 30-7-2020 को2.50 AM \ तीव्रता 3.1सन्निपातज'भूकंप !
रोगों की सूचना देने वाले भूकंप !
महामारी के समय में प्रकृति में अप्रत्याशित बदलाव -
कोरोना महामारी के समय एक डेढ़ वर्ष में केवल भारत में ही एक हजार से अधिक भूकंप आए हैं ऐसा क्यों हुआ क्या इनसे महामारी का कोई संबंध है इस संबंध को खोजना अनुसंधानों की जिम्मेदारी है | इन भूकंपों का महामारी से कोई संबंध नहीं है तो इसी समय इतने अधिक भूकंपों के आने का कारण क्या है | वस्तुतः भूकंपों से संबंधित अनुसंधान इतने लंबे समय से चलाए जा रहे हैं उनसे जनता को कितनी मदद पहुँचाई जा सकी है इस बात की समीक्षा तो होनी ही चाहिए |वैज्ञानिक अनुसंधानों से भूकंपों को रोकना तो संभव है ही नहीं केवल इनका पूर्वानुमान ही लगाने के लिए बड़े बड़े अनुसंधान चलाए जा रहे हैं | कोई भूकंप कब आएगा इसका पूर्वानुमान लगाना अभी तक संभव नहीं हो पाया है और न ही वैज्ञानिकों के द्वारा ऐसे कोई दावे किए ही जा रहे हैं | दूसरी बात भूकंप आते क्यों हैं उसका कारण खोजना सबसे कठिन काम है |
2018 अप्रैल मई जून में आने वाले पूर्वोत्तर भारत के हिंसक आँधी तूफान आए !ऐसे ही अगस्त 2018 में केरल में भीषण बाढ़ आई !इनघटनाओं के तुरंत बाद महामारी प्रारंभ हुई | 2020 और 2021 में सर्दी के सीजन सर्दी बहुत कम हुई गर्मी के सीजन में मई जून तक वर्षा होती रहने कारण गर्मी बहुत कम हुई | ऐसा क्यों हुआ क्या इनसे महामारी का कोई संबंध है इस संबंध को खोजना अनुसंधानों की जिम्मेदारी है | यदि ऐसी प्राकृतिक घटनाओं का महामारी से कोई संबंध नहीं है तो इसी समय इतने अधिक ऐसी ऋतु विपरीत घटनाओं के घटित होने का कारण क्या है |इस संबंध को खोजने की वैज्ञानिकों की जिम्मेदारी है |
आँधी तूफानों के विषय में जिन मौसम वैज्ञानिकों के द्वारा कभी कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकी थी उन्हीं मौसम वैज्ञानिकों के द्वारा 8 मई 2018 को भीषण आँधी तूफ़ान आने की भविष्यवाणी कर दी गई ,मौसम वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी से भयभीत सरकारों ने दिल्ली और दिल्ली के आसपास के स्कूल कालेज बंद करवा दिए जबकि हवा का एक झोंका भी नहीं आया | जिसके विषय में कभी कोई पूर्वानुमान नहीं बताया जा सका था | मौसमसंबंधी इस प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं का उसके तुरंत बाद आई कोरोना महामारी से कोई संबंध था या नहीं | इस बात का पता लगाना भी उन्होंने आवश्यक नहीं समझा होगा |
बढ़ते वायुप्रदूषण का महामारी से कोई संबंध था या नहीं
वायुप्रदूषण पिछले कुछ वर्षों से निरंतर बढ़ते देखा रहा है किंतु इसके विषय में पूर्वानुमान लगाना तो दूर आज तक यही नहीं पता लगाया जा सका कि वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार वास्तविक कारण क्या हैं?दीपावली के पटाखों को वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार बताने वाले यह नहीं सोचते कि चीन में तो दीवाली नहीं मनती वहाँ क्यों बढ़ा हुआ है वायु प्रदूषण | इसके साथ ही इस बात का भी पता लगाया जाना चाहिए कि विगत कुछ वर्षों में क्रमिक रूप से बढ़ते जा रहे वायु प्रदूषण का कोरोना महामारी से कोई संबंध था या नहीं इसका भी पता लगाया जाना चाहिए | कुल मिलाकर वैज्ञानिक अनुसंधानों के द्वारा न तो वायुप्रदूषण बढ़ने का कारण खोजा जा सका और न ही उसके विषय में कोई पूर्वानुमान ही लगाया जा सका ऐसी परिस्थिति में यदि महामारी पैदा होने का कारण वायु प्रदूषण ही हो तो भी इस विषय में जानकारी जुटाने के लिए सरकारों के पास और दूसरा विकल्प भी क्या है ? ऐसी परिस्थिति में महामारी और वायुप्रदूषण के आपसी संबंध को खोज पाना असंभव सा है |
यूरोप में जनवरी का तापमान औसत से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया, जबकि पूर्वोत्तर यूरोप के कई हिस्सों में औसत से 6 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया !जनवरी माह का वैश्विक तापमान अपने चरम पर पहुंच गया था।विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा किये विश्लेषण के अनुसार 2019 को मानव इतिहास के दूसरा सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया गया था। आंकड़ों के अनुसार 2019 के वार्षिक वैश्विक तापमान में औसत (1850 से 1900 के औसत तापमान) से 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो चुकी है। जबकि 2016 का नाम अभी भी रिकॉर्ड में सबसे गर्म साल के रूप में दर्ज है। आंकड़ें दिखाते हैं कि 2010 से 2019 के बीच पिछले पांच साल रिकॉर्ड के सबसे गर्म वर्ष रहे हैं।
5 मई 2020 :कोरोना के बीच पाँच गुणा तेजी से घटी सूरज की रोशनी | गंगा मौजूद तारों तुलना में कमजोर पड़ गया सूर्य | मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने यह खुलासा किया है
12 मई 2020 :इस बार अप्रैल में इतनी बारिश हुई जितनी पहले कभी नहीं हुई थी। अब मई की बारिश ने भी चौका दिया है। इन दो माह में अब तक कुल 51.4 मिमी बारिश हो चुकी है।
टिड्डियाँ संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़, साल 2003-05 के बीच में भी टिड्डों की संख्या में ऐसी ही बढ़ोतरी देखी गई थी जिससे पश्चिमी अफ्रीका की खेती को ढाई अरब डॉलर का नुकसान हुआ था.
26 Jul 2016 को प्रकाशित चूहों से संक्रमण और बीमारियां तेजी से फैलती हैं इसलिए प्रधानमंत्री जॉन की ने 2050 तक चूहों और अन्य उपद्रवी जानवरों से छुटकारा पाने की महत्वकांक्षी योजना की घोषणा की है |
28-5-2021चूहों जन्मदर बढ़ी - 29 -5 -2021 ऑस्ट्रेलिया में चूहों से हाहाकार, खेतों को किया बर्बाद अब घर में लगा रहे आग, भारत को 5 हजार लीटर जहर का ऑर्डर !आस्ट्रेलिया चूहों से बहुत ज्यादा परेशान है. फैक्ट्री और खेतों से निकलने वाले इन चूहों की संख्या लाखों में है, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के लोगों को न सिर्फ परेशान कर दिया है बल्कि वहां लोग चूहों से डरे हुए हैं.| ऑस्ट्रेलिया के कृषि मंत्री एडम मार्शल ने कहा है कि 'अगर हम वसंत तक चूहों की संख्या को कम नहीं कर पाते हैं तो ग्रामीण और क्षेत्रीय साउथ वेल्स में आर्थिक और सामाजिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।' । लाखों की तादाद में चूहों ने किसानों और फैक्ट्री मालिकों को परेशान कर रखा है। लाखों चूहें ऑस्ट्रेलिया के अलग अलग फैक्ट्री और खेतों से निकल रहे हैं |
जुलाई 2020 में प्रकाशित हुआ कि चीन में ब्यूबोनिक प्लेग का मामला सामने आने के बाद चेतावनी जारी की गई है |
सन 2020 में प्रकाशित -यूके में लॉकडाउन में डेढ़ फुट लम्बे गुस्सैल चूहों का आतंक; भूख ऐसी कि एक-दूसरे को खा रहे, इन पर जहर भी बेअसर हो रहा है | ब्रिटेन में चूहे इतने बढ़ गए, जितने कि 200 साल पहले की औद्योगिक क्रांति के दौरान भी नहीं थे |लॉकडाउन में चूहे खाने और रहने के नए ठिकाने ढूंढ़ने में लगे हैं |बताया जाता है कि चूहों से 55 तरह की बीमारियां फैलती है | दुनियाभर में लॉकडाउन के दौरान जानवरों के नए रूप देखने को मिले हैं। लेकिन, ब्रिटेनवासी कोरोना के साथ-साथ बड़े चूहों से बेहद परेशान और खौफ में हैं। 18 इंच तक लम्बे इन चूहों को जाइंट रेट कहा जाता है और लॉकडाउन के दौरान इन्होंने अपने व्यवहार को अधिक आक्रामक बना लिया है | बीते दो महीनों से ये सीवर-अंडरग्राउंड नालियों से निकल कर रहवासी इलाकों में घुस रहे हैं। बंद शहरों से दूर ये उपनगरीय कस्बों की ओर बढ़ रहे हैं। पता चला है कि ये इतने भूखे हैं कि अब एक-दूसरे को खाने लगे हैं। इन पर रेट पॉयजन का भी असर नहीं हो रहा है।
भारत में भी मध्य प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और राजस्थान समेत कई राज्यों से चूहों के आतंक और करोड़ों के माल की नुकसान की खबरें मिली हैं, हालांकि हमारे यहाँ के चूहे ब्रिटेन के चूहे जितने बड़े नहीं हैं।
ब्रिटेन के चूहों की मुंह से लेकर पूंछ तक की लंबाई करीब 18 से 20 इंच तक देखी गई है। ब्रिटेन ही नहीं, दुनिया के अन्य देश भी लॉकडाउन के दौरान चूहों के आतंक का सामना कर रहे हैं। अमेरिका में, सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल ने चूहों के आक्रामक हो रहे व्यवहार के बारे में लोगों को सचेत किया है।ब्रिटिश पेस्ट कंट्रोल एसोसिएशन के एक सर्वे से पता चला है कि ब्रिटेन में बड़े चूहों के उपद्रव की घटनाओं में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है। द सन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में चूहे पकड़ने वालों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि उनका काम बढ़ गया है। एसोसिएशन की टेक्निकल ऑफिसर नताली बुंगे के मुताबिक: "हमारे पास अब तक ये रिपोर्ट आती थी कि चूहे खाली इमारतों में ठिकाने बना रहे हैं लेकिन,अब ऐसा लगता है कि उनके रहवास का पैटर्न भी बदल रहा है | मैनचेस्टर के रैट कैचर मार्टिन किर्कब्राइड ने टेलीग्राफ को बताया कि, ब्रिटेन में चूहे इतने बढ़ गए हैं जितने कि 200 साल पहले की औद्योगिक क्रांति के दौरान भी नहीं थे। वैज्ञानिकों ने लॉकडाउन के शुरू होने के बाद से ही यहां के उपनगरों में बड़े चूहों की आबादी में बढ़ोतरी देखी है। कुतरने वाले जीवों पर पीएचडी करने वाले अर्बन रोडेन्टोलॉजिस्ट बॉबी कोरिगन कहते हैं कि:हमने मानव जाति के इतिहास में देखा है, जिसमें लोग जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करते हैं। वे पूरी सेना के साथ धावा बोलते हैं और जमीन हथियाने के लिए आखिरी सांस तक लड़ते हैं। और, चूहे भी अब ऐसा ही कर रहे हैं।दिलचस्प बात यह है कि चीनी कैलेंडर के हिसाब से कोरोनावायरस की भेंट चढ़ा साल 2020 चूहों का साल माना गया है। हर 12 साल में एक बार आने वाला चूहों का ये साल 25 जनवरी से शुरू होकर 21 फरवरी 2021 तक चलेगा। हालांकि चीन में जनवरी से ही कोरोना संक्रमण तेजी से फैला और नव वर्ष का जश्न खराब हो गया था।
अनुसंधान के अभाव में अफवाहें -
महामारी संक्रमण बढ़ने के लिए जो वैज्ञानिक लोग वायु प्रदूषण को जिम्मेदार बताते हैं वे ये क्यों नहीं सोचते कि जिन देशों प्रदेशों में वायु प्रदूषण नहीं बढ़ता है | वहाँ कोरोना संक्रमण क्यों बढ़ता है ? जो लोग कोरोना नियमों का पालन न करने वाली भीड़ों को कोरोना संक्रमण बढ़ने के लिए जिम्मेदार बताते हैं वे दिल्ली में किसानों का आंदोलन ,महानगरों से मजदूरों का पलायन बिहार बंगाल की चुनावी भीड़ें एवंहरिद्वार कुंभ की भीड़ आखिर वे क्यों भूल जाते हैं | जो लोग लगाने से कोरोना संक्रमण नियंत्रित बात पर विश्वास करते हैं उन्हें यह भी सोचना चाहिए केरल जैसे राज्य जहाँ वायु प्रदूषण सबसे कम रहता है वैक्सीनेशान में भी सबसे आगे रहा इसके बाद भी सबसे अधिक कोरोना संक्रमितों की संख्या वहीँ रही | अमेरिका जैसे देशों में और दिल्ली मुंबई जैसे महानगरों में चिकित्सा की सर्वोत्तम व्यवस्थाएँ होने के बाद भी कोरोना संक्रमण सबसे अधिक यहीं बढ़ा | जो संपन्न वर्ग जितने अधिक कोरोना नियमों का पालन करता रहा कोरोना से सबसे अधिक वही वर्ग संक्रमित हुआ है | कोरोना महामारी के विषय में वैज्ञानिकों ने कभी कुछ बताया ही नहीं और जब जब जो जो अनुमान या पूर्वानुमान बताए वे सभी गलत निकलते चले गए इसके बाद भी तीसरी लहर की अफवाह फैलाने से वे बाज नहीं आए जिसका कि कोई वैज्ञानिक आधार ही नहीं था |
इसी प्रकार जिन भूकंपों के आने से पहले उसके विषय में जिन वैज्ञानिकों के द्वारा कभी कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकी होती है एक बार भूकंप आ जाने के बाद वही वैज्ञानिक रोज कोई न कोई भूकंप आने की भविष्यवाणी कर दिया करते हैं | कुछ समय तक इस प्रकार का क्रम चला करता है इसके बाद जब कोई भूकंप नहीं आता तो वैज्ञानिक भी शांत हो जाया करते हैं | ऐसी अफवाहों से वैज्ञानिकों का भले न कुछ बिगड़ता हो किंतु जनता तो परेशान होती ही है |
जिन प्राकृतिक घटनाओं के विषय में जो वैज्ञानिक लोग कभी पूर्वानुमान नहीं लगा पाते उनके घटित होने का कारण नहीं खोज पाते अपनी असफलताओं को भुलाने के लिए वही लोग अफवाहें फैला फैलाकर जनता का तनाव बढ़ाया करते हैं जनता न खाली रहेगी न वो वैज्ञानिकों की असफलताओं के विषय में सोचेगी | इसके अतिरिक्त और दूसरा कोई तर्कसंगत कारण नहीं दिखता है |
सारी दुनियाँ देख रही है कि कोरोना महामारी में वैज्ञानिकों की ऐसी कोई सार्थक भूमिका दूर दूर तक नहीं दिखाई पड़ी है जिससे प्राकृतिक आपदाओं के समय समाज को कभी कोई मदद मिल सकी हो | कोरोना महामारी के समय जनता आपदा से अकेली जूझती रही | अपने वैज्ञानिक अनुसंधानों अनुभवों से कुछ अफवाहों के अतिरिक्त और जनता को क्या मदद पहुँचाई जा सकी |
कुल मिलाकर मौसम एवं महामारी के विषय में जिस आधुनिक विज्ञान संबंधी अनुसंधानों पर जनता का पैसा पानी की तरह बहाया जाता है क्या उस विज्ञान में यह क्षमता ही नहीं है कि उसके द्वारा ऐसे विषयों में कोई सार्थक अनुसंधान किया जा सके | उन झूठी भविष्यवाणियों को सच की तरह परोसते रहना मीडिया की अपनी मजबूरी होती है |
कोरोना महामारी को ही लें तो जब तक महामारी है तब तक महामारी के विषय में वैज्ञानिक कुछ भी पता नहीं लगा पा रहे हैं और महामारी समाप्त होने के बाद वो जो जो कुछ बताएंगे भी उस पर विश्वास किस आधार पर कर लिया जाएगा |क्योंकि महामारी के विषय में वैज्ञानिकों के द्वारा जो जो कुछ बोला गया वो संपूर्ण रूप से गलत निकला है |
विदेशों में अमेरिका ब्रिटेन जैसे देशों में चिकित्सा व्यवस्थाएँ बहुत अच्छी थीं |वहाँ वैक्सीन भी समय से लगती रही इसके बाद भी लोग बड़ी मात्रा में संक्रमित होते रहे हैं |
भारत में दिल्ली मुंबई में चिकित्सा व्यवस्था देश के अन्य स्थानों की अपेक्षा अधिक उन्नत हैं जबकि सबसे अधिक यहीं के लोग महामारी से अधिक तंग हुए हैं | यहाँ तक कि केरल में वैक्सीनेशन अन्य प्रदेशों की अपेक्षा अधिक हुआ किंतु केरल सबसे अधिक पीड़ित हुआ आखिर क्यों ?
कुछ वैज्ञानिक लोग इसका कारण जो लोग जलवायु परिवर्तन को बता रहे उन्हें यह सोचना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन क्रमिक और लगातार चलने वाली व्यवस्था है जबकि प्राकृतिक घटनाएँ तो कभी कभी घटित होती हैं |
सच्चाई ये है कि मानसून आने जाने से संबंधित इनकी कोई भविष्यवाणी कभी सही नहीं निकली अब तारीखों में परिवर्तन करके थोड़ा समय इस बहाने काट लिया जाएगा
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