सोम, 7 सित॰ 2020, 10:42 pm
कोरोनावैक्सीन के परीक्षण के बिषय में हमारे द्वारा पीएमओ को भेजी गई तीसरीमेल -
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सोम, 7 सित॰ 2020, 10:42 pm
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माननीय प्रधानमंत्री जी !
सादर नमस्कार
बिषय :कोरोना वैक्सीन के बिषय में वेदविज्ञान के मत का विनम्र निवेदन !
महोदय,
विश्व में कोरोना जैसी महामारी को प्रारंभ हुए लगभग नौ महीने बीत चुके हैं भारत समेत समस्त विश्व के वैज्ञानिक कोरोना से मुक्ति दिलाने हेतु दिन रात परिश्रम कर रहे हैं किंतु अभीतक इसकी औषधि या वैक्सीन आदि बनाने में सफलता हाथ नहीं लग सकी है |
इसी
बिषय में 19 मार्च को मैंने आपकी मेल पर एक पत्र भेजा था जिसमें लिखा था
"महामारी की कभी कोई दवा बनाई ही नहीं जा सकती है | वो अपने समय से प्रारंभ
होती है और अपने समय से ही समाप्त होती है |"
अच्छे समय के प्रभाव से महामारियाँ जब स्वतः समाप्त होने लगती हैं | उस समय जो दवाएँ या वैक्सीन आदि प्रयोग की जा रही होती हैं | महामारी समाप्त करने में उनकी कोई विशेष भूमिका न होने पर भी भ्रमवश महामारी समाप्त होने का कारण उन्हें ही मान लिया जाता है | समय के प्रभाव को न समझने के कारण यह भ्रम समूचे विश्व में हमेंशा से बना चला आ रहा है |मुझे आशंका है कि इसबार भी कुछ ऐसा ही होगा |
श्रीमान जी | वेदविज्ञान की दृष्टि से कोरोना संक्रमण बढ़ने का समय केवल 24
सितंबर तक ही है इसके बिषय में मैंने 16 जून 2020 को आपकी
मेल पर एक पत्र लिखकर निवेदन किया था "9 अगस्त से कोरोना संक्रमण फिर से
बढ़ने लगेगा जो 24 सितंबर तक क्रमशः बढ़ता चला जाएगा | 25 सितंबर से कोरोना
संक्रमण कम होना प्रारंभ होगा और 13 नवंबर 2020 तक धीरे धीरे समाप्त होता
चला जाएगा |" हमारे द्वारा किए गए इस पूर्वानुमान के अनुशार ही कोरोना संक्रमण 9 अगस्त से बढ़ना प्रारंभ हुआ
है और 25 सितंबर से समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा |
इसलिए 25 सितंबर से पहले यदि किसी औषधि या वैक्सीन आदि के प्रभाव का परीक्षण प्रमाणित हो चुका होता जिसके सेवन से किसी देश प्रदेश जिला आदि को कोरोना संक्रमण से मुक्ति दिलाने में सफलता मिल चुकी होती तब तो उसे कोरोना की औषधि या वैक्सीन के रूप में मान्यता देना न्यायसंगत होता किंतु अभी तक ऐसा कुछ हो नहीं पाया है | 25 सितंबर के बाद कोरोना के स्वतः समाप्त होने का समय प्रारंभ हो चुका होगा | उस समय के प्रभाव से कोरोना संक्रमण हमेंशा हमेंशा के लिए क्रमशः स्वतः समाप्त होता चला जाएगा |
ऐसी परिस्थिति में 25 सितंबर के बाद बनी किसी भी औषधि या वैक्सीन के प्रभाव का परीक्षण होना संभव न हो पाने के कारण उसे कोरोना की औषधि या वैक्सीन के रूप में मान्यता दिया जाना न्याय संगत नहीं होगा |
प्रधानमंत्री जी !आधुनिक विज्ञान कोरोना जैसी महामारी को समझने में
कितना सफल हुआ है मैं नहीं कह सकता किंतु वेद विज्ञान के द्वारा इस महामारी
के स्वभाव को समझने में सुविधा हुई है इसके प्रभाव के विस्तार का सही सही
अनुमान लगाया जा सका है | इस संक्रमण के बढ़ने घटने एवं हमेंशा के लिए
समाप्त होने का पूर्वानुमान वेद विज्ञान के द्वारा लगाया जा सका है |इसके
पर्याप्त प्रमाण हमारे पास हैं |
अस्तु आपसे विनम्र निवेदन है कि आधुनिक विज्ञान की तरह ही यदि वेद विज्ञान संबंधी हमारे अनुसंधान को भी सरकार के द्वारा प्रोत्साहित किया जाए तो महामारियों एवं प्राकृतिक आपदाओं के स्वभाव को समझने में एवं उसके विषय में समय से पूर्वानुमान लगाने में विशेष मदद मिल सकती है |
A -7\41,कृष्णानगर, दिल्ली -51
9811226973 \ 9811226983
विशेषबात: हमारे द्वारापीएमओ को 7 सितंबर को भेजी मेल में साफ साफ लिखा गया है कि सितंबर के बाद कोरोना के स्वतः समाप्त होने का समय प्रारंभ हो चुका होगा | उस समय के प्रभाव से कोरोना संक्रमण हमेंशा हमेंशा के लिए क्रमशः स्वतः समाप्त होता चला जाएगा | ऐसी परिस्थिति में 25 सितंबर के बाद बनी किसी भी औषधि या वैक्सीन के प्रभाव का परीक्षण होना संभव न हो पाने के कारण उसे कोरोना की औषधि या वैक्सीन के रूप में मान्यता दिया जाना न्यायसंगत नहीं होगा | यही स्थिति देखी भी जा रही है जैसे ही समय प्रभाव से कोरोना समाप्त होते देखा जा रहा हैं वैसे ही वैक्सीन बना लेने के दावे किए जाने लगे |
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