मैं और मेरे अनुसंधान

हमारे पिता पं श्री श्याम सुंदर वाजपेयी जी श्री करपात्री जी महाराज के शिष्य रहे थे | मैं 5 वर्ष का था तभी  पिता जी का देवलोक गमन हो गया था |वे विभिन्न शास्त्रीय विद्याओं में पारंगत होने के साथ साथ ज्योतिषशास्त्र के उद्भट विद्वान थे | उनके द्वारा किए गए अनुसंधानों से मुझे न केवल प्रेरणा मिली प्रत्युत पिता जी के ग्रंथ अनुसंधान आदि मुझे परंपरा से प्राप्त हुए | उन्हीं के आधार पर प्रकृति और जीवन से संबंधित प्राकृतिक घटनाओं के विषय में गणितीय अनुसंधान हमने लगभग 1980 में प्रारंभ कर दिए थे !उस समय वर्षा आँधी तूफानों आदि के विषय में पूर्वानुमान लगाया करते थे | उनमें से काफी पूर्वानुमान सच निकल जाया करते थे |अनुसंधानों में जो कमी छूट रही थी उसके लिए मुझे ज्योतिषमर्मज्ञ गुरु की आवश्यकता थी |इसके लिए सन 1986 में मैं वाराणसी में पढ़ने गया | वहाँ मुमुक्षु भवन के छात्रावास में रहकर गुरुजनों के घर जाकर उनसे अध्ययन करता था | विभिन्न गुरुजनों से अध्ययन किया आशीर्वाद लिया | उनमें गुरुवर पं श्री सत्यनारायण त्रिपाठी जी से ज्योतिष विद्या एवं वात्सल्य दोनों प्राप्त हुए और जिसके फलस्वरूप ज्योतिष के क्षेत्र में मेरी भी प्रतिष्ठा बनने लगी |

        सन 1990 में विश्व हिंदू परिषद के श्रीमान अशोक सिंघल जी मुमुक्षु भवन एक कार्यक्रम में आए | जिसमें मेरा भी कवितापाठ हुआ |उनसे ज्योतिष विषय परिचय हुआ | उन्होंने अगले दिन मुझे दीनदयाल जालान जी के घर बुलाया | अगले दिन मैं उनके घर गया जहाँ श्रीमान अशोक सिंघल जी तो थे ही आचार्य गिरिराज किशोर जी भी थे | उन्होंने हमसे हमारे ज्योतिष  संबंधी अध्ययन के विषय में बात की | इसके बाद कहा कि क्या कारण है कि ज्योतिष विद्वानों के द्वारा ज्योतिष शास्त्रीय क्षमता के विषय में जितने अच्छे भाषण दिए जाते हैं उतने अच्छे कार्य नहीं हो पाते हैं |ये तो कहा जाता है कि ज्योतिष के द्वारा मौसम संबंधी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है ,किंतु क्या कारण है कि कोई ज्योतिषी ऐसा करके प्रत्यक्ष दिखा नहीं पाता है |दूसरी बात विद्वानों के भाषणों में यज्ञों के द्वारा बड़ी बड़ी प्राकृतिकआपदाओं या महामारियों को शांत करने की बातें तो की जाती हैं,किंतु जब प्राकृतिकआपदाएँ घटित होती हैं तब उन्हीं यज्ञों के द्वारा प्राकृतिकआपदाओं या महामारियों को शांत करना संभव नहीं हो पाता  है | इसलिए प्राचीनविज्ञान को जो सम्मान मिलना चाहिए, वो नहीं मिल पाता है| इन दोनों बातों को प्रमाणित किया जाना यदि संभव हो तो तुम इसके लिए अध्ययन अनुसंधान आदि कुछ करो | 

       इसके बाद मैं उसी प्रकार के अनुसंधानों एवं अनुष्ठानों की दिशा में लगातार प्रयत्नशील रहा |सन 2012 से इस दिशा में काफी विश्वसनीय परिणाम प्राप्त होने लगे |इसके बाद मौसमसंबंधी पूर्वानुमान मैं भारतीयमौसमविज्ञान विभाग को भी भेजता रहा हूँ | जो सही निकलते रहे हैं | कोरोना महामारी की लहरों के विषय में जो जो पूर्वानुमान सरकार की मेलपर भेजता रहा हूँ | इसके साथ ही भारत में भयावह होती जा रही महामारी की दूसरी लहर को घोषित तारीख पर ही मैंने अनुष्ठान के द्वारा रोकने में सफलता प्राप्त की है|इन बातों के स्पष्ट प्रमाण आज भी सरकार की मेलों पर देखे जा सकते हैं | 

        वर्तमानसमय प्रचलित अनुसंधान विधाएँ मौसम एवं महामारी को समझने एवं इनके विषय में पूर्वानुमान लगाने में कितनी उपयोगी सिद्ध हो पाती हैं !इसका अनुभव समाज को है किंतु अपने अनुसंधानों के विषय में मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ कि प्राकृतिक घटनाओं से पीड़ितों के लिए मेरे अनुसंधान बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं | इनके द्वारा प्राकृतिक घटनाओं या महामारियों के विषय में पूर्वानुमान तो लगाया जा ही सकता है |यज्ञों के द्वारा प्राकृतिक आपदाओं  से संभावित नुक्सान को घटाकर सुरक्षित बचाया जा सकता है | 




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