गुरु, 19 मार्च 2020, 11:56 pm

  मैं भी महामारी समेत अनेकों प्राकृतिक बिषयों पर अनुसंधान करता आ रहा हूँ मैंने भी अपनी  व्यक्तिगत रिसर्च  आधार पर महामारी बिषय में  कुछ पता लगा पाया जनहित में वह  जानकारी भारत के प्रधानमंत्री जी की मेल पर भेजता रहा हूँ जिनका जनहित में अच्छा उपयोग किया जा सकता है इसी उद्देश्य से मैंने ऐसा करना अपना  कर्तव्य समझा था | 

         मार्च 2020 में जब महामारी को लेकर बिलकुल अनिश्चितता का वातावरण था महामारी  के बिषय में प्रमाणित तौर पर कोई कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं था केवल आशंकाओं अफवाहों के द्वारा भय  वातावरण बनाया जा चुका था वैज्ञानिक अनुसंधानों  के नाम पर कुछ काल्पनिक बिचारों के अतिरिक्त और कुछ ऐसा नहीं था  महामारी से जूझती जनता के लिए मददगार सिद्ध  हो सके |महामारी के बिषय में किसी को कुछ भी तो  नहीं पता था उस समय अपने अनुसंधान के आधार पर मैंने प्रधानमंत्री जी की  मेल पर  जरूरी पत्र भेजकर  यह जानकारी देने का  प्रयास किया था -       

 कोरोना प्रथम चरण के बिषय में हमारे द्वारा पीएमओ को भेजी गई पहली मेल - 

Vajpayee vajpayeesn@gmail.com

गुरु, 19 मार्च 2020, 11:56 pm


appt.pmo, Narendra

आदरणीय प्रधानमंत्री  जी !

         सादर नमस्कार !

विषय : कोरोना जैसी महामारी से संबंधित पूर्वानुमान के विषय में निवेदन -

     महोदय,

      कोरोना जैसी महामारी के इतने बड़े संकट से निपटने में कुछ समय तो लगेगा किंतु अधिक घबड़ाने की आवश्यकता इसलिए नहीं है क्योंकि इस दृष्टि से जो समय अधिक बिषैला था वो 11 फरवरी तक ही निकल चुका था | इसलिए महामारी का केंद्र रहे वुहान में यहीं से इस रोग पर अंकुश लगना प्रारंभ हो गया था | उसके बाद इस  महामारी के वुहान से दक्षिणी और पश्चिमी देशों प्रदेशों में फैलने का समय चल रहा है | जो  24 मार्च 2020 तक चलेगा | उसके बाद इस महामारी का समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा जो क्रमशः 6 मई तक चलेगा | |उसके बाद समय में पूरी तरह सुधार हो जाने के कारण संपूर्ण विश्व अतिशीघ्र इस महामारी से मुक्ति पा सकेगा | 

    ऐसी महामारियों को सदाचरण स्वच्छता उचित आहार विहार आदि धर्म कर्म ,ईश्वर आराधन एवं ब्रह्मचर्य आदि के अनुपालन से जीता जा सकता है |इसमें चिकित्सकीय प्रयासों का बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा | क्योंकि महामारियों में होने वाले रोगों का न कोई लक्षण होता है न निदान और न ही कोई औषधि होती है | किसी भी महामारी की शुरुआत समय के बिगड़ने से होती है और समय के सुधरने पर ही महामारी की समाप्ति होती है | समय से पहले इस पर नियंत्रण करने के लिए अपनाए जाने वाले प्रयास उतने अधिक प्रभावी नहीं होते हैं |

      किसी महामारी पर नियंत्रण न हो पाने का कारण यह है कि  कोई भी महामारी तीन चरणों में फैलती है और तीन चरणों में ही समाप्त होती है | महामारी फैलते समय सबसे बड़ी भूमिका समय की होती है | सबसे पहले समय की गति बिगड़ती  है  ऋतुएँ समय के आधीन हैं इसलिए अच्छे या बुरे समय का प्रभाव सबसे पहले ऋतुओं पर पड़ता है ऋतुओं का प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है उसका प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों फूलों फलों फसलों आदि समस्त खाने पीने की वस्तुओं पर पड़ता है वायु और जल पर भी पड़ता है इससे वहाँ के कुओं नदियों तालाबों  आदि का जल प्रदूषित हो जाता है | इन परिस्थितियों का प्रभाव जीवन पर पड़ता है इसलिए शरीर ऐसे रोगों से पीड़ित होने लगते हैं जिनमें चिकित्सा का प्रभाव बहुत कम पड़ पाता है |

     विशेष बात यह है जो औषधियाँ बनस्पतियाँ आदि ऐसे रोगों में लाभ पहुँचाने के लिए जानी जाती रही हैं बुरे समय का प्रभाव उन पर भी पड़ने से वे उतने समय के लिए निर्वीर्य अर्थात गुण रहित हो जाती हैं जिससे उनमें रोगनिवारण की क्षमता नष्ट हो जाती है |

      महामारी समय के बिगड़ने से प्रारम्भ होती है और समय के सुधरने से ही समाप्त होती है प्रयत्नों का बहुत अधिक लाभ नहीं मिल पाता है |पहले समय की गति सँभलती है उस प्रभाव से ऋतुविकार नष्ट होते हैं उससे पर्यावरण सँभलता है |उसका प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों फूलों फलों फसलों आदि समस्त खाने पीने की वस्तुओं पर पड़ता है वायु और जल पर पड़ता है |कुओं नदियों तालाबों  आदि का जल प्रदूषण मुक्त होकर जीवन के लिए हितकारी होने लग जाता है | इसीलिए आयुर्वेद की चरक और सुश्रुत आदि संहिताओं में महामारी फैलने तथा उनके समाप्त होने से संबंधित पूर्वानुमान लगाने की विधि बताई गई है जिस पर मैं विगत लगभग तीस वर्षों से अनुसंधान करता  आ रहा हूँ | उसी 'समयविज्ञान' के आधार पर मैंने पूर्वानुमान लगाने का यह प्रयास किया है |जिसके सही होने की संभावना समझकर ही मैं यह निवेदन पत्र आपको भेज रहा हूँ | 

  निवेदक -  डॉ. शेष नारायण वाजपेयी

Ph.D  By  BHU 

A-7\41,कृष्णा नगर ,दिल्ली -51                                                                            9811226973 \9811226983


    जनता की पहली चिंता यह थी कि महामारी का यह प्रकोप रहेगा कब तक ? इस मेल में यह जानकारी देते हुए मैंने लिखा है कि महामारी का यह प्रकोप 24 मार्च 2020 तक चलेगा | उसके बाद इस महामारी का समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा जो क्रमशः 6 मई तक चलेगा | |उसके बाद समय में पूरी तरह सुधार हो जाएगा !

 परीक्षण :24 मार्च से ही संक्रमण की गति धीमी पड़ने लगी थी जो जुलाई तक क्रमशः कम होता चला गया था !जिन देशों में पहले  बहुत अधिक फैल चुका था उनमें भी संक्रमण की गति क्रमशः धीमी होती चली गई थी | 

 दूसरी चिंता : जनता की दूसरी चिंता यह थी कि महामारी के प्रकोप से बचने के लिए उपाय क्या किया जाए ?इस बिषय में जानकारी देते हुए मैंने मेल में लिखा है -" ऐसी महामारियों को सदाचरण स्वच्छता उचित आहार विहार आदि धर्म कर्म ,ईश्वर आराधन एवं ब्रह्मचर्य आदि के अनुपालन से जीता जा सकता है |" 

परीक्षण : हमारी इस बात से जुलते वक्तव्य महामारी प्रारंभ होने के काफी बाद में सरकारी वैज्ञानिकों  द्वारा  भी दिए जाने लगे थे जिसमें इम्युनिटी (प्रतिरोधक क्षमता)बढ़ाने के लिए सलाहें देनी उन्होंने भी शुरू की थीं | हाथ धोने छुआछूत से बचने आदि की सलाहें दी जाने लगी थीं | 

     जहाँ तक "धर्म कर्म ,ईश्वर आराधन एवं ब्रह्मचर्य आदि के अनुपालन की बात है " तो व्यवहार में यह भी देखा गया कि जिन महानगरों में कोरोना का कोहराम मचा हुआ था उन्हीं महानगरों में रहने वाले धर्म कर्म से जुड़े पंडितों पुजारियों साधू संन्यासियों आदि धर्मकर्म से जुड़े अधिकाँश लोग कोरोना महामारी में भी संक्रमित होने से बचते देखे गए थे !इसलिए जिन देशों प्रदेशों नगरों महानगरों में मिलावट खोरी बेईमानी घूसखोरी जितनी कम से कम होगी वहाँ महामारियों का प्रकोप उतना ही कम होगा |   
      जहाँ तक बात 'ब्रह्मचर्यपालन' की है तो ब्रह्मचर्य से अभिप्राय विवाहेतर संबंधों से बचना होता है जिन देशों प्रदेशों महानगरों में आधुनिकता और फैशन के नाम पर स्त्री पुरुष जितना अधिक खुलापन अपनाते हैं ब्यभिचार बढ़ाने वाले कपड़े पहनते हैं ऐसा रहन सहन अपनाते हैं परस्त्री परपुरुष संबंधों को बढ़ावा देते हैं समाज में अश्लीलता परोसने के दोषी हैं उन्हें ऐसा करने से रोके जाने पर वे रोकने वाले लोगों को रूढ़िवादी बताते हुए वे जिन ब्यभिचार प्रिय देशों का उदाहरण देते हैं जिन देशों की अश्लीलता का अनुकरण करते हैं ऐसे ब्रह्मचर्य विरोधी देशों प्रदेशों को महामारियों की पीड़ा अधिक सहनी पड़ती है |ऐसे ब्यभिचारप्रधान लोग जिन देशों प्रदेशों नगरों महानगरों आदि में रहते हैं उनके पापों से पीड़ित पृथ्वी उन क्षेत्रों का शुद्धीकरण करने के लिए उन्हें महामारी से अधिक पीड़ित करती है | 

        इसलिए महामारियों से बचाव के लिए वैश्विक स्तर पर सरकारी एवं सामाजिक तथा व्यक्तिगत प्रयासों से   बलात्कार ब्यभिचार आदि पर शक्ति पूर्वक नियंत्रण किया जाना चाहिए विवाहेतर संबंधों से बचा जाना चाहिए ब्यभिचारबर्द्धक नंगी अधनंगी आदि वेष भूषा को नशे की तरह अपराध की श्रेणी में लाया जाना चाहिए क्योंकि मादकद्रव्यों के सेवन से जिस प्रकार नशा चढ़ाता है और नशे में अचानक  अपराध घटित होने की संभावना रहती है उसीप्रकार से ब्यभिचारबर्द्धक नंगी अधनंगी वेषभूषा रहन सहन बात व्यवहार आदि देखने से बढ़ी कामोत्तेजना के नशे में अचानक अपराध घटित होने की संभावना रहती है | इसलिए नशामुक्ति के साथ साथ ब्यभिचारमुक्त  समाज निर्माण का प्रयास किया जाना चाहिए जिससे भविष्य में महामारियों से बचाव होता रहे | विकसित देशों के साथ साथ भारत के दिल्ली मुंबई जैसे महानगरों को भी ऐसे आदर्श प्रस्तुत करने चाहिए ! इससे महामारियों के महा प्रकोप के समय में भी बचाव होने की पूरी संभावना रहती है | 

 तीसरी चिंता :कोरोना महामारी के समय में होने वाले रोगों का लक्षण क्या है और इससे बचाव की औषधि क्या है ?इस बिषय में जानकारी देते हुए मैंने मेल में लिखा है - "महामारियों में होने वाले रोगों का न कोई लक्षण होता है न निदान और न ही कोई औषधि होती है |"

परीक्षण :कोरोना संक्रमित लोगों के शरीरों में उभरने वाले लक्षणों को देख देखकर वैज्ञानिकों ने उन्हें कोरोना महामारी के लक्षणों के रूप में प्रचारित किया किंतु वे लक्षण कोरोना के थे ही नहीं जब उनका यह भ्रम टूटा तब उन्होंने कोरोना स्वरूप बदल रहा है जैसी बातें बोलकर अपने पुराने वक्तव्यों में सुधार किया था !जहाँ तक औषधि  है जब बिना कोई औषधि दिए  संक्रमितों की संख्या दिनोंदिन अपने आप से घटने लगी थी तब उन्होंने  भी इस सच  स्वीकार कर लिया था इटली के एक वैज्ञानिक ने कहा भी था कि लग रहा है बिना औषधि के  कोरोना संक्रमण  से मुक्ति मिलेगी !

  चौथी चिंता :कोरोना महामारी समाप्त कैसे होगी उसका क्रम क्या होगा ? इस बिषय में जानकारी देते हुए मैंने मेल में लिखा है - "महामारी समय के बिगड़ने से प्रारंभ होती है और समय के सुधरने से ही समाप्त होती है प्रयत्नों का बहुत अधिक लाभ नहीं मिल पाता है |पहले समय की गति सँभलती है उस प्रभाव से ऋतुविकार नष्ट होते हैं उससे पर्यावरण सँभलता है |उसका प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों फूलों फलों फसलों आदि समस्त खाने पीने की वस्तुओं पर पड़ता है वायु और जल पर पड़ता है |कुओं नदियों तालाबों  आदि का जल प्रदूषण मुक्त होकर जीवन के लिए हितकारी होने लग जाता है | 

     परीक्षण: मेरी जानकारी के अनुशार वैज्ञानिकअनुसंधानों कर्ताओं के द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर यह कभी नहीं बताया जा सका कि कोरोना महामारी  प्रारंभ क्यों हुआ ये कोई मानवीय चूक थी या प्राकृतिक कोई ऐसा परिवर्तन हुआ था जिसके कारण महामारी प्रारंभ हुई यदि मानवीय चूक थी तो क्या और यदि प्राकृतिक परिवर्तन हुआ है तो कैसा ?वैज्ञानिकों की आशंकाओं को यदि सच मान भी लिया जाए कि कोरोना वुहान की लैब में हुई चूक के कारण ही पैदा हुआ तो भी इन प्रश्नों का वैज्ञानिकों के द्वारा कोई स्पष्ट उत्तर  नहीं दिया जा सका है कि यदि कोरोना वुहान की लैब से एक बार निकलकर धीरे धीरे संपूर्ण विश्व में फैलता चला गया होगा उस फैलाव में वुहान की लैब की कोई भूमिका नहीं रही इसके बाद कुछ देशों प्रदेशों में संक्रमण बहुत अधिक बढ़ा कुछ में बहुत कम रहा दूसरी बात कुछ ऋतुओं में बहुत कम रहा जबकि कुछ ऋतुओं में बहुत अधिक बढ़ता देखा गया !विशेषकर भारत में मई-जून 2020 में एवं अक्टूबर नवंबर 2020 में बिना किसी औषधि पथ्य परहेज आदि के ही कोरोना संक्रमण कम होने या समाप्त होने लगा था | 9 अगस्त 2020 से 24 सितंबर 2020 तक कोरोना संक्रमण अचानक बढ़ता चला गया था उसके बाद अपने आप से समाप्त होने लगा था ऐसा होने के पीछे का वास्तविक कारण क्या था इस प्रश्न का वास्तविक उत्तर अभीतक नहीं दिया जा सका है कि ऐसा होने के पीछे कोई मनुष्यकृत सुधार था या प्राकृतिक परिवर्तन था और वो क्या था ?यदि ये माना जाए कि संक्रमण की गति कम होने के पीछे लोगों के खान पान रहन सहन आदि में अतिरिक्त सुधार सतर्कता आदि कारण रहे होंगे किंतु कोरोना महामारी का संक्रमण कम करने के लिए करना क्या चाहिए था वैज्ञानिक अनुसंधानों के द्वारा ये जनता को अंत तक नहीं बताया जा सका जिसका जनता पालन करके अपना बचाव कर लेती |लॉकडाउन मॉस्कधारण दो गज दूरी जैसे जो उपाय बताए भी गए थे उनका प्रमाणित हो पाना अंत तक संभव नहीं हो पाया | क्योंकि जिन स्थानों पर जिस समय में इनका पालन किया गया भी  वहाँ संक्रमण में कोई कमी आते नहीं देखी गई और जब जहाँ इनका पालन नहीं भी किया गया वहाँ विशेष बढ़ोत्तरी होते नहीं देखी गई | ये सर्व विदित है कि भारत में धनतेरस और दीपावली जैसे त्योहारों पर भारतीय बाजारों में भयंकर भीड़ उमड़ते देखी गई साप्ताहिक बाजार भी खोल दिए गए यहाँ तक कि लॉकडाउन मॉस्कधारण दो गज दूरी जैसे नियम संयमों के सारे तटबंध टूटते देखे गए इसके बाद भी  नवंबर दिसंबर के महीनों में कोरोना संक्रमण दिनोंदिन समाप्त होता चला गया | इसी प्रकार से कहा जा रहा था कि कुछ कोरोना जैसी महामारी बढ़ने का कारण वायु प्रदूषण बढ़ना भी है किंतु नवंबर दिसंबर के महीनों में जब वायुप्रदूषण का स्तर बहुत अधिक बढ़ा हुआ था उस समय कोरोना संक्रमण का अचानक अपने आप से समाप्त होता जा रहा था | वैज्ञानिकों के द्वारा लगाया गया यह अनुमान भी सही नहीं घटित हो सका | 

         इसीप्रकार से वैज्ञानिकों के द्वारा अनुमान लगाया गया कि सर्दी बढ़ने पर कोरोना संक्रमण अधिक बढ़ जाएगा किंतु वैज्ञानिकों के अनुमान के विपरीत नवंबर दिसंबर के महीनों में जैसे जैसे सर्दी बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे कोरोना संक्रमण समाप्त होता जा रहा था |वैज्ञानिकों के द्वारा लगाया गया यह अनुमान भी सही नहीं घटित हो सका | 

      इसी प्रकार से वैक्सीन के बल पर कोरोना संक्रमण को पराजित करने की बात कही जा रही थी किंतु वैक्सीन का प्रयोग प्रारंभ होने से पहले ही कोरोना संक्रमितों की संख्या में दिनोंदिन घटती जा रही थी कोरोना लगभग समाप्त हो गया था तब वैक्सीन लगाना प्रारंभ किया गया था | 

        यदि ऐसा मान भी लिया जाए कि कोरोना संक्रमण कम होने में वैज्ञानिकों के द्वारा बनाई गई वैक्सीनों की भी कोई भूमिका रही है तो यह भी देखा जाना चाहिए कि इतनी बड़ी जन संख्या में वैक्सीन को कितने प्रतिशत लोगों तक पहुँचाया जा सका है ! वैक्सीन के बिषय में अनुसंधान पूर्वक 7 फरवरी 2021 को एक लेख प्रकाशित किया गया - "ब्लूमबर्ग के वैक्सीन कैलकुलेटर के मुताबिक, उसकी गणना बताती है कि कोरोना वायरस के खात्मे में अभी सात साल का समय और लग सकता है। इस गणना में टीकाकरण की रफ्तार को आधार बनाया गया है। यानी जिस तेजी से दुनियाभर में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, उसके मुताबिक सभी देशों को अपनी 75 फीसदी आबादी को टीका लगाने में सात साल का वक्त लग जाएगा।"  ऐसी परिस्थिति में नवंबर दिसंबर के महीनों में कोरोना संक्रमण दिनोंदिन समाप्त होने में वैक्सीन की किसी भूमिका को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार किया जाना तर्कसंगत नहीं है | 

      इसी प्रकार से 17 फरवरी 2021 को एक लेख प्रकाशित हुआ -" कोरोना संक्रमण ने जब पाँव पसारना शुरू किया था तब विशेषज्ञों ने डराने वाली भविष्यवाणियां की थीं। उनका मानना था कि भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश को इस महामारी का सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ेगा और लाखों लोग मारे जाएँगे !"किंतु वैज्ञानिकों के द्वारा लगाया गया यह अनुमान भी सच नहीं निकला !

    कोरोना महामारी में चिकित्सा की भूमिका को इस समय जबकि अमेरिका व ब्रिटेन समेत कई विकसित देशों में टीकाकरण अभियान जोरों पर है, तब भी वहां कोरोना संक्रमण रफ्तार में है। अमेरिका में जहां रोजाना 50 हजार के आसपास मामले आ रहे हैं, वहीं रूस व ब्रिटेन में भी आंकड़ा 10 हजार के पार है। इनके विपरीत भारत में विगत सप्ताह से कोरोना संक्रमण के दैनिक मामले 10 हजार के आसपास रह गए हैं। दैनिक मौतों के मामले भी हजार के नीचे आ गए हैं। यह भी साफ हो चुका है कि कोरोना के मामलों में गिरावट जांच कम होने के कारण नहीं है। अब विशेषज्ञ यह पता लगाने में जुटे हैं कि क्या भारत में कोरोना महामारी समाप्ति की ओर है?

 


पाँचवीं चिंता : महामारी की शुरुआत कैसे होती है ?इस बिषय में जानकारी देते हुए मैंने मेल में लिखा है -"किसी भी महामारी की शुरुआत समय के बिगड़ने से होती है और समय के सुधरने पर ही महामारी की समाप्ति होती है | महामारी तीन चरणों में फैलती है और तीन चरणों में ही समाप्त होती है | महामारी फैलते समय सबसे बड़ी भूमिका समय की होती है | सबसे पहले समय की गति बिगड़ती  है  ऋतुएँ समय के आधीन हैं इसलिए अच्छे या बुरे समय का प्रभाव सबसे पहले ऋतुओं पर पड़ता है ऋतुओं का प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है उसका प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों फूलों फलों फसलों आदि समस्त खाने पीने की वस्तुओं पर पड़ता है वायु और जल पर भी पड़ता है इससे वहाँ के कुओं नदियों तालाबों  आदि का जल प्रदूषित हो जाता है | इन परिस्थितियों का प्रभाव जीवन पर पड़ता है इसलिए शरीर ऐसे रोगों से पीड़ित होने लगते हैं जिनमें चिकित्सा का प्रभाव बहुत कम पड़ पाता है |"

परीक्षण :समय जैसे जैसे बीतता गया था वैसे वैसे वैज्ञानिकों को भी समझ में आने लगा था कि महामारी हवा पानी आदि सभी चराचर जगत में व्याप्त है पशु पक्षियों में व्याप्त थी फलों के अंदर व्याप्त थी नदियों तालाबों में व्याप्त थी ऐसा बाद में सरकारी वैज्ञानिक वर्ग भी स्वीकार करता गया था | 

छठवीं चिंता :कोरोना महामारी का विस्तार कहाँ तक है ?इस बिषय में जानकारी देते हुए मैंने मेल में लिखा है -

सातवीं चिंता :महामारी समाप्त कैसे होती है ?इस बिषय में जानकारी देते हुए मैंने मेल में लिखा है -     महामारी समय के बिगड़ने से प्रारम्भ होती है और समय के सुधरने से ही समाप्त होती है प्रयत्नों का बहुत अधिक लाभ नहीं मिल पाता है |पहले समय की गति सँभलती है उस प्रभाव से ऋतुविकार नष्ट होते हैं उससे पर्यावरण सँभलता है |उसका प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों फूलों फलों फसलों आदि समस्त खाने पीने की वस्तुओं पर पड़ता है वायु और जल परपड़ता है |कुओं नदियों तालाबों  आदि का जल प्रदूषण मुक्त होकर जीवन के लिए हितकारी होने लग जाता है | 

     इस प्रश्न का उत्तर आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों से खोजने का दावा करने वाले वैज्ञानिकों ने महामारी की समाप्ति के उपाय के रूप में वैक्सीन निर्माण 

  कोरोना प्राकृतिक है या मनुष्य कृत है ? 

        इस प्रश्न का उत्तर खोजने में वैज्ञानिक अनुसंधानकर्ता लंबे समय तक उलझे रहे हैं फिर भी अभी तक आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों के द्वारा इस बिषय में निश्चयपूर्वक कुछ कहने की स्थिति में नहीं है |      19-4-2020 : कहा जाता रहा कि चीन के वुहान से कोरोना वायरस के संक्रमणकी शुरुआत हुई किंतु कब हुई कैसे हुई ?इसका कोई तर्कसंगत उत्तर नहीं खोजा जा सका है |  

      इसमें दुनिया भर के रिसर्चरों और पत्रकारों की महीनों से रुचि रही है | कोरोना वायरस वुहान के मीट बाजार से फैला जहां चमगादड़ बेचे जा रहे थे. लेकिन अब बताया जा रहा है कि उस बाजार में चमगादड़ थे ही नहीं और वायरस चीन की लैब से निकला है. तो सच्चाई क्या है?

   पश्चिमी मीडिया में रिपोर्ट किया जा रहा है कि पास के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से वायरस लीक हुआ |  जनवरी 2020 के अंत में "साइंस" नाम की विज्ञान पत्रिका ने एक लेख छापते हुए चीन के आधिकारिक बयान पर सवाल उठाया जिसके अनुसार वायरस मीट बाजार में जानवरों से इंसानों में फैला. इसके बाद "द लैंसेंट" पत्रिका ने लिखा कि कोविड-19 संक्रमण के शुरुआती 41 मामलों में से 13 कभी वुहान के मीट बाजार गए ही नहीं ! ऐसी परिस्थिति में  वुहान के मीट बाजार में जाए बिना ही शुरुआती उन 41 मामलों में से उन 13 लोगों के संक्रमित होने का भी तो तर्क पूर्ण उत्तर खोजा जाना चाहिए | 
1-5-2020 -ट्रंप ने कहा कि चीन की लैब से पैदा हुआ कोरोना बायरस !
  कोरोना वायरस प्राकृतिक है !
  विश्व के बहुत सारे वैज्ञानिकों के साथ साथ अमेरिका के अपने वैज्ञानिक भी जोर देकर कह रहे हैं कि कोरोना वायरस प्राकृतिक है |इसके  अपनी रिसर्च का हवाला भी दे रहे हैं | 
23-4-2020:स्टैनफोर्ड मेडिकल स्कूल में संक्रमक रोगों के प्रोफेसर रॉबर्ट शेफर का कहना है -"प्रकृति में इस प्रकार की कई चीजें मौजूद हैं जिनसे इस प्रकार की महामारी पैदा हो सकती है |ट्यूलन स्कूल ऑफ़ मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ.रॉबर्ट गैरी का कहना है कि यह मानव निर्मित नहीं अपितु प्राकृतिक है | 
24अप्रैल2020: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि वर्तमान तक के सभी उपलब्ध साक्ष्यों से पता चलता है कि कोरोना वायरस प्राकृतिक है और इसमें किसी तरह की कोई हेराफेरी नहीं है और न ही यह मानव निर्मित वायरस है।
       कुछ वैज्ञानिक इस सच्चाई को स्वीकार कर रहे हैं कि कोरोना प्राकृतिक है या मनुष्य कृतइसके बिषय में अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा जा सका है | 
12 मई 2020चीन में शानदोंगे फर्स्ट मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि जहां शोधकर्ता चमगादड़ को वायरस का प्राकृतिक वाहक मान रहे हैं, वहीं वायरस की उत्पत्ति अब भी स्पष्ट नहीं है।

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