1 मार्च 2021, 10:35 am

 कोरोना द्वितीय चरण के बिषय में  हमारे द्वारा पीएमओ को भेजी गई पाँचवींमेल - 

 
 1 मार्च 2021, 10:35 am
 

 माननीय प्रधान मंत्री जी !

                                     सादर नमस्कार 

बिषय : वैदिकविज्ञान की दृष्टि से कोरोना वैक्सीन के बिषय में विनम्र निवेदन | 

     महोदय,

       सरकार की सक्रियता एवं वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से  बनाई गई कोरोना वैक्सीन इस महामारी को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं है अपितु संक्रमण में बढ़ोत्तरी हो सकती है ,ऐसा होने के पीछे के कारण वैक्सीन के साइडइफेक्ट नहीं होंगे | महामारियाँ अपने जाने का श्रेय किसी को नहीं लेने देती हैं इसीलिए इतिहास में भी दवा या वैक्सीन आदि के बल से महामारियों को कभी पराजित नहीं किया जा सका है | ये  हमेंशा अपनी इच्छा से आती और अपने समय पर ही अपनी इच्छा से जाती हैं | पूर्वजों ने इसीलिए चेचक जैसी महामारी को माता कह कर विनम्रता पूर्वक हाथ जोड़कर बिदा  किया था | 

       कोरोना महामारी को आए एक वर्ष से अधिक का समय हो गया है वैज्ञानिकों ने इससे मुक्ति दिलाने के बहुत सारे प्रयास किए हैं किंतु सारे विफल होते रहे हैं यहाँ तक कि प्रथम चरण की वैक्सीन लगाने के पहले भारत में संक्रमितों की संख्या दिनोंदिन घटती जा रही थी और स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़ती जा रही थी किंतु वैक्सीन लगते ही संक्रमण अचानक बढ़ने लगा है | जिसे दुनियाँ देख रही है यही ब्रिटेन एवं अमेरिका आदि में भी हुआ है | भारत के बिषय में ऐसा कुछ सोचकर मुझे भी चिंता होनी स्वाभाविक ही है |यदि सरकार अभी भी वैक्सीन आदि से उपरत होकर संयम से काम लेती है तो वैक्सीन के प्रथम चरण के परिणाम स्वरूप बढ़ा कोरोना संक्रमण 31 मार्च 2021 के बाद संपूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा |

      श्रीमानजी !वैदिक विज्ञान की दृष्टि से महामारियाँ  सजीव होती हैं इनके पीछे प्रकृति की चेतन शक्ति काम कर रही होती है उसे झुठलाना या पराजित कर पाना  मनुष्य के बश की बात नहीं है | यही कारण है वैज्ञानिकों ने आज तक कोरोना महामारी के बिषय में जो जो कुछ बोला  है वह सब कुछ गलत होता चला गया है कोई एक बात वैज्ञानिक ऐसी नहीं बता सकते जिसमें उन्होंने कोरोना महामारी से संबंधित कोई अंदाजा लगाया हो और बाद में वह अंदाजा गलत न निकला हो | लॉकडाउन जैसी सावधानी जब तक बरती गई तब तक महामारी का संक्रमण बढ़ता गया जैसे ही ऐसी सावधानियाँ रोकी गईं वैसे ही संक्रमण समाप्त होने लगा | इसी क्रम में जो सक्षम वर्ग जितनी अधिक सावधानियाँ बरतते रहा वो उतना अधिक संक्रमित हुआ | गरीबों ग्रामीणों आदिवासियों मजदूरों के लिए परिस्थितिबशात इतने  संयम बरतना संभव न था फिर भी वे अधिक सुरक्षित बने रहे | 

     मान्यवर ! अपनी बात के समर्थन में महामारी के बिषय में प्रमाण स्वरूप कहने के लिए मेरे पास भी बहुत कुछ है जो यहाँ लिख पाना संभव नहीं है | क्योंकि मैं पिछले 25 वर्षों से ऐसे ही प्राकृतिक बिषयों पर अनुसंधान करता आ रहा हूँ | आधुनिक बिज्ञान वेत्ता लोग भले ही ऐसे विषयों से अनभिज्ञ होने के कारण इन्हें विज्ञान न मान रहे हों किंतु वे ये भी नहीं बता पा रहे हैं कि खुद को तो सक्षम वैज्ञानिक मानते हैं इसके बाद भी मौसम भूकंप एवं महामारियों के बिषय में कुछ काल्पनिक बातों के अतिरिक्त कुछ भी तो ऐसा नहीं कर पा रहे हैं जिसकी सच्चाई भी प्रमाणित होने लायक हो | 

      इसीलिए अपने अनुसंधानों के आधार पर मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ कि वर्तमान वैज्ञानिक उछलकूद पद्धति से अगले हजार वर्षों में भी महामारियों और प्राकृतिक आपदाओं को समझ पाना संभव नहीं हो पाएगा | आपकी सरकार से आशा अभी भी है कि शायद इस सच्चाई को समझा जाएगा किंतु आपकी सरकार के भी 6 वर्ष बीत चुके हैं आपने कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कदम उठाए भी हैं इस क्रम प्रकृति मन और महामारियों को समझने वाले वैज्ञानिक अनुसंधानों का नंबर कब आएगा पता नहीं | समाज की पीड़ा से परेशान होकर मैं समय समय पर पत्र आपको भी लिखता रहा हूँ जिसके उत्तर आपके यहाँ से भले न दिए जा रहे हों किंतु महामारियों के बिषय में भविष्य में जब कभी ऐसे बिषयों पर वास्तविक रिसर्च होगा उस दिन आपकी मेल पर पड़े ये पत्र भी हमारे अनुसंधानों का परिचय देने में सक्षम होंगे | इसी आशा में भवदीय -

       डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 

                         पीएचडी द्वारा बीएचयू

  A -7\41,शनिबाजार, कृष्णानगर, दिल्ली -51 

                  9811226973 \9811226983  





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