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          प्राचीनकाल में राजा लोग ज्योतिषियों से मौसम या महामारी जैसी घटनाओं के विषय में भविष्यवाणी करवाया करते थे !जिनके द्वारा की गई किन्ही 5 भविष्यवाणियों में तीन भी सही निकल जाती थीं उन्हें ज्योतिषी मान लिया जाता था !जिनकी 5 में से पाँचों भविष्यवाणियाँ सही निकलती थीं उन्हें राज ज्योतिषी मान  लिया जाता था ! इसी कसौटी पर ज्योतिषियों को आज भी कसा जाना चाहिए !जिन्होंने किसी प्रमाणित विश्व विद्यालय से ज्योतिष शास्त्र में कोई डिग्री लेकर उसके बाद ज्योतिष शास्त्र से संबंधित अनुसंधान अभ्यास अनुभव भी किए होंगे होगी उन्हें      कंप्यूटर की कुण्डलियाँ पूरी तरह सही नहीं होती हैं ,इसलिए आपके द्वारा भेजी गई किसी भी डेट ऑफ बर्थ की कुंडली पुराने पंचागों से बनवा कर देखनी होती है | इसीलिए तुरंत बताना संभव नहीं होगा | जिसका चार्ज 1100 रूपए रखा गया है !किसी को भी अपनी कुंडली दिखाने के लिए जन्म तारीख महीना वर्ष जन्म समय और बीते जीवन की किन्ही दो घटनाओं के साथ अपने प्रश्नों को लिखकर भेजना होता है |अच्छी प्रकार से कुंडली देख लेने के बाद शीघ्र ही आपसे बात करने का समय आपके वाट्सअप पर भेज दिया जाएगा |फीस भे

mahamari patra

       माननीय प्रधानमंत्री जी !                                                सादर प्रणाम      विषय :महामारी से संबंधित अपने अनुसंधान के विषय में मिलने के लिए समय देने हेतु निवेदन !       महोदय,      महामारी का स्वभाव हिंसक एवं उसका वेग बहुत अधिक होता है| उसके शुरू होते ही लोग जब संक्रमित होने एवं मृत्यु को प्राप्त होने लगते हैं |इतने कम समय में महामारी से  जनधन की सुरक्षा की जानी संभव नहीं हो पाती है |इससे बचाव के लिए पहले से करके रखी गई मजबूत तैयारियाँ ही काम आ पाती हैं | विशेषज्ञों को बचाव की तैयारियाँ करने में जितना समय लग सकता है| उतने समय में महामारियाँ जनधन का नुक्सान करके चली भी जाती हैं|इसके लिए महामारी के विषय में पहले से सही अनुमान पूर्वानुमान पता होने आवश्यक होते हैं |       महामारी की पहली लहर से लेकर अभी तक संक्रमण बढ़ने या घटने की जितनी भी घटनाएँ घटित हुई हैं | उनके विषय में हमारे द्वारा लगाए गए अनुमान पूर्वानुमान आदि उन तारीखों सहित सही निकलते रहे हैं | मैं उन्हें आगे से आगे पीएमओ की मेल पर भेजता आ रहा हूँ |जो अभी भी सुरक्षित हैं |     ऐसे विषयों पर मैं बीते तीस वर्षों

वैज्ञानिक होने के नाते आपसे अपेक्षाएँ हैं !

       वर्तमान समय में विज्ञान उन्नति के शिखर पर है | वैश्विक स्तर पर बड़े बड़े वैज्ञानिकों के समूह ऐसी समस्याओं को समझने एवं उनका समाधान निकालने में लगे हुए हैं किंतु यह दुर्भाग्य ही है कि समाधान निकालना तो दूर उनके द्वारा ऐसी घटनाओं को समझना भी संभव नहीं हो पाया है| ऐसी घटनाओं के विषय में उनके द्वारा जो समझा गया उसके आधार पर जो अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाए गए वे सही नहीं निकले | इससे समाज में ये संदेश गया कि ऐसे अनुमानों  पूर्वानुमा नों  को लगाने के लिए जो आधार चुने गए थे | वे सही नहीं थे | उनके द्वारा ऐसी घटनाओं को समझने के लिए जहाँ तक वैज्ञानिकपहुँच बनाई जा सकी | उसे गणित विज्ञान की कसौटी पर कैसा जाए तो  वास्तविकता उनकी पहुँच के विपरीत दिशा में उनसे बहुत दूर खड़ी थी |      उस सच्चाई को  खोजने का एक मात्र उपाय यही था कि अनुसंधानों के द्वारा जितनी भी जानकारी मिली थी उसके आधार पर महामारी के विषय में अनुमान पूर्वानुमान लगाए जाते यदि वे सही निकलते तब तो महामारी संक्रमण से मुक्ति दिलाने या बचाव के लिए औषधि टीके आदि उसी जानकारी के आधार पर बना लिए जाते !महामारी के विषय में अपनी ज