'मूर्ति','मस्जिद' और 'काबा'
खुदा की मूर्ति नहीं तो मस्जिद की जिद क्यों ? 'मूर्ति','मस्जिद' और 'काबा' ये तीनों प्रत्यक्ष दिखाई देने वाली वस्तुएँ हैं यदि खुदा निराकार है तो इनकी आवश्यकता ही क्या है खुदा तो प्रत्येक स्थान पर है उसकी इबादत करने के लिए यदि खुदा की मूर्ति की जरूरत नहीं है तो खुदा की मस्जिद में जाकर नमाज करने एवं खुदा के घर काबा की ओर मुख करके नमाज करने की जरूरत ही क्या है |खुदा सभी जगह है तब तो कहीं भी और किसी ओर भी मुख करके नमाज की जा सकती है |खुदा सभी जगह है ऐसा मानकर यदि ट्रेनों प्लेनों पार्कों रोडों मैदानों आदि किसी भी जगह पर की गई नमाज खुदा को स्वीकार हो सकती है तो मस्जिद की आवश्यकता ही क्या है ? "बंदे मातरम्" कहने में आपत्ति क्यों ? नमाज करते समय जिस जमीन पर सिर झुकाया जा रहा होता है वह जमीन खुदा नहीं होती !जिन दीवारों की ओर मुख करके सिर झुकाया जा रहा होता है वे दीवारें खुदा नहीं होतीं, जिस 'काबा' की ओर मुख करके सिर झुकाया जा रहा होता है वो 'काबा' खुदा नहीं...